
छिंदवाड़ा | छिंदवाड़ा जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र में शनिवार शाम एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले इस कृत्य में एक युवती ने नवजात शिशु को कचरे की बाल्टी में डालकर कचरे के ढेर में फेंक दिया। थोड़ी ही देर में वहां पहुंचे आवारा कुत्तों के झुंड ने मासूम के शव को नोचना शुरू कर दिया, जिससे उसका शरीर क्षत-विक्षत हो गया।
सीसीटीवी में कैद हुई अमानवीय हरकत
स्थानीय लोगों ने बताया कि कचरे के ढेर के पास अचानक कुत्तों का झुंड जमा हो गया था। जब उन्होंने पास जाकर देखा तो नवजात का शव कुत्तों के मुंह में था। लोगों ने तुरंत शोर मचाकर कुत्तों को वहां से भगाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। नवजात का शरीर बुरी तरह से फट चुका था और चारों ओर खून बिखरा हुआ था। घटना की जानकारी मिलते ही कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और नवजात के शव को अपने कब्जे में लेकर जिला अस्पताल भेजा, जहां उसका पोस्टमार्टम कराया गया।
किराए के मकान में रह रही युवतियां संदिग्ध
पुलिस ने जब घटनास्थल के पास लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो एक युवती स्पष्ट रूप से दिखाई दी, जो एक काली बाल्टी में कुछ लेकर कचरे की ओर जाती हुई नजर आई। इस आधार पर पुलिस ने पास ही स्थित एक किराए के मकान में रह रहीं तीन युवतियों को थाने बुलाकर पूछताछ शुरू की है। कोतवाली थाना प्रभारी टीआई आशीष धुर्वे ने बताया कि मामला बेहद संवेदनशील है और सभी पहलुओं से जांच की जा रही है। शॉर्ट पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी। पुलिस का कहना है कि आरोपी की शिनाख्त होते ही उसके खिलाफ हत्या और भ्रूण हत्या की धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा।
स्थानीयों में आक्रोश, कड़ी सजा की मांग
घटना के बाद इलाके में गहरा आक्रोश है। स्थानीय निवासियों ने इसे इंसानियत के खिलाफ अपराध बताते हुए दोषियों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि कुछ देर और हो जाती तो कुत्ते शव को पूरी तरह खा जाते और इस अमानवीय कृत्य का कोई सबूत भी नहीं बचता।
समाज और प्रशासन पर बड़ा सवाल
यह घटना न केवल एक जघन्य अपराध है, बल्कि यह समाज और प्रशासन के लिए भी एक गंभीर सवाल है। आखिर वह कौन सी मजबूरी या भय था, जिसने एक मां को ऐसा हैवानियत भरा कदम उठाने पर मजबूर किया? क्या समाज में आज भी अविवाहित मां बनने का कलंक इतना बड़ा है कि नवजात को मौत के हवाले करना किसी को आसान लगता है? प्रशासन को चाहिए कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए जनजागरूकता बढ़ाई जाए और महिलाओं को मानसिक, सामाजिक और चिकित्सकीय सहायता दी जाए, ताकि कोई और मासूम इस प्रकार निर्दयता का शिकार न हो।