
श्रीनगर गढ़वाल| उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल स्थित वी.सी.एस.जी. मेडिकल कॉलेज एक बार फिर दुखद समाचार की वजह से सुर्खियों में है। कॉलेज के अलकनंदा छात्रावास में पीजी (एनाटॉमी) की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली। मृतका की पहचान झारखंड राज्य की राजधानी रांची निवासी 27 वर्षीय छात्रा के रूप में हुई है। शव दोपहर लगभग डेढ़ बजे छात्रावास के अपने कमरे में पंखे से लटका मिला।
एमबीबीएस कर चुकी थी छात्रा, श्रीनगर में कर रही थी पीजी
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मृतका ने बिहार के पटना से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की थी और फिलहाल श्रीनगर मेडिकल कॉलेज से एनाटॉमी विषय में पोस्ट ग्रेजुएट प्रथम वर्ष की छात्रा थी। वह कॉलेज के छात्रावास में रह रही थी। घटना की सूचना पाकर पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और कमरे को सील कर जांच शुरू कर दी है।
कमरे में अकेली थी छात्रा, दरवाजा अंदर से बंद था
पुलिस को प्राथमिक जांच में पता चला है कि छात्रा अपने कमरे में अकेली थी। दरवाजा अंदर से बंद था और काफी देर तक कोई हलचल न होने पर सहपाठियों ने संदेह व्यक्त किया। सूचना मिलते ही वार्डन ने दरवाजा तुड़वाया, जिसके बाद छात्रा का शव पंखे से लटका मिला। घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, जिससे आत्महत्या के कारणों को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है।
पुलिस जुटी कारणों की पड़ताल में
कोतवाली प्रभारी ने बताया कि शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और परिजनों को सूचना दे दी गई है। आत्महत्या के पीछे के कारणों की जांच की जा रही है। छात्रा की निजी ज़िंदगी, मानसिक स्थिति और अकादमिक तनाव जैसे पहलुओं की जांच की जा रही है।
“मामले की गंभीरता को देखते हुए हर कोण से जांच की जा रही है। अभी किसी निष्कर्ष पर पहुँचना जल्दबाज़ी होगी।”
— कोतवाली प्रभारी, श्रीनगर गढ़वाल
मेडिकल कॉलेज प्रशासन भी हैरान
कॉलेज प्रशासन भी इस दुखद घटना से स्तब्ध है। कॉलेज प्रबंधन ने छात्रा के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए मामले की पूरी जांच में पुलिस को सहयोग का आश्वासन दिया है। साथ ही, कॉलेज प्रशासन ने अन्य छात्रों को मानसिक रूप से सहयोग देने और उनकी समस्याओं को प्राथमिकता से सुनने के लिए एक विशेष हेल्पलाइन बनाने की बात भी कही है।
लगातार बढ़ रहे हैं छात्रावासों में तनाव के मामले
हाल के वर्षों में मेडिकल, इंजीनियरिंग और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्रावासों से मानसिक तनाव और आत्महत्या की घटनाओं की संख्या बढ़ी है। अत्यधिक शैक्षणिक दबाव, प्रतियोगिता, अकेलापन और निजी समस्याएं इसके पीछे प्रमुख कारण मानी जाती हैं।