
उज्जैन | विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन में एक बार फिर VIP संस्कृति का शर्मनाक चेहरा सामने आया है। भाजपा विधायक गोलू शुक्ला के बेटे रुद्राक्ष शुक्ला ने गर्भगृह में जबरन घुसकर न केवल धार्मिक परंपराओं का उल्लंघन किया बल्कि मंदिर के कर्मचारी से बदसलूकी और धमकाने का भी आरोप झेला। भस्म आरती के दौरान हुई इस घटना को लेकर खासा बवाल मचा है। हैरानी की बात यह रही कि ठीक उसी समय मंदिर का लाइव प्रसारण भी रोक दिया गया।
रविवार रात करीब दो बजे उज्जैन महाकाल मंदिर में सावन के दूसरे सोमवार की भस्म आरती की तैयारियां चल रही थीं। इसी बीच भाजपा विधायक गोलू शुक्ला, जो इंदौर-1 विधानसभा से निर्वाचित हैं, अपने बेटे रुद्राक्ष शुक्ला के साथ कांवड़ यात्रा लेकर मंदिर पहुंचे। सब कुछ सामान्य प्रतीत हो रहा था, लेकिन भस्म आरती के दौरान रुद्राक्ष ने अचानक गर्भगृह में जबरन प्रवेश का प्रयास किया। इस दौरान वहां तैनात कर्मचारी आशीष दुबे ने जब उन्हें रोका तो रुद्राक्ष ने उन्हें न केवल गाली दी, बल्कि धमकाया भी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रुद्राक्ष ने जबरन प्रवेश किया और पांच मिनट तक विशेष पूजा-अर्चना की।
लाइव प्रसारण अचानक बंद: संयोग या साजिश?
महाकाल मंदिर से भस्म आरती का लाइव प्रसारण यूट्यूब और टीवी चैनलों पर होता है। लेकिन ठीक उसी समय एक मिनट तक स्क्रीन ब्लैक हो गई। इस तकनीकी बंदी ने संदेह को जन्म दिया कि क्या यह VIP हस्तक्षेप की साजिश थी? माना जा रहा है कि यह ब्लैकआउट रुद्राक्ष के गर्भगृह प्रवेश को कैमरे में आने से बचाने के लिए जानबूझकर किया गया।
प्रशासन मौन, विधायक ने दी सफाई
घटना के बाद मंदिर प्रशासन और जिला अधिकारी पूरी तरह मौन हैं। जब मीडिया ने विधायक गोलू शुक्ला से सवाल पूछा तो उन्होंने कहा,
“हम कांवड़ यात्रा लेकर आए थे, दर्शन विधिपूर्वक किए। किसी प्रकार का उल्लंघन नहीं हुआ है।”
हालांकि कर्मचारी और चश्मदीदों के बयान विधायक की सफाई को झूठा करार देते हैं।
पहले भी विवादों में रहे हैं रुद्राक्ष
यह पहली बार नहीं है जब रुद्राक्ष शुक्ला ने धार्मिक स्थलों पर अनुशासनहीनता दिखाई हो।
- 2019 में भी उन्होंने महाकाल मंदिर के गर्भगृह में जबरन प्रवेश किया था, तब वे दोस्तों के साथ आए थे।
- मार्च 2025 में, रुद्राक्ष ने देवास के माता टेकरी मंदिर में आधी रात को मंदिर खुलवाया और पुजारी के साथ मारपीट की थी। बाद में माफी मांगकर मामला शांत किया गया था।
धार्मिक अनुशासन का अपमान या राजनीतिक दबदबा?
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है —
क्या धार्मिक स्थलों पर VIP संस्कृति की छूट इतनी बड़ी हो गई है कि गर्भगृह जैसे पवित्र स्थान भी इससे अछूते नहीं रहे?
क्या सत्ता और सुरक्षा का कवच इन राजनेताओं और उनके परिवारों को हर मर्यादा से ऊपर कर देता है?
मंदिर प्रबंधन और प्रशासन की भूमिका सवालों के घेरे में
मंदिर समिति की तरफ से अब तक कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। सोशल मीडिया पर आम श्रद्धालु और नागरिक प्रशासन से तीखे सवाल पूछ रहे हैं:
- गर्भगृह में कौन प्रवेश कर सकता है, इसके नियम क्या केवल आमजन पर लागू होते हैं?
- लाइव प्रसारण क्यों रोका गया? क्या यह संयोग था या रणनीति?
- बार-बार ऐसी घटनाओं पर प्रशासन क्यों चुप रहता है?
संभव कानूनी कार्रवाई और जनआक्रोश
कर्मचारी संघ रुद्राक्ष के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहा है। वहीं, कुछ धार्मिक संगठनों ने मंदिर की गरिमा को भंग करने और संपूर्ण CCTV फुटेज सार्वजनिक करने की मांग की है। इस प्रकरण ने एक बार फिर दिखा दिया कि जब राजनैतिक दबदबा धार्मिक आस्थाओं के ऊपर हावी हो जाता है, तो नियम-कानून बौने साबित होते हैं। महाकाल का यह मंदिर सिर्फ आस्था का नहीं, बल्कि गरिमा और मर्यादा का प्रतीक है। ऐसे में यदि कोई VIP गर्भगृह की मर्यादा तोड़ता है और मंदिर प्रशासन मौन बना रहता है, तो यह न केवल आस्थावानों का अपमान है, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की भी हत्या है।