
सुपौल। बिहार के सुपौल जिले के छातापुर थाना क्षेत्र अंतर्गत डहरिया पंचायत के वार्ड 11 में मंगलवार शाम एक बिजली मिस्त्री की करंट लगने से मौत हो गई। मृतक की पहचान छातापुर पंचायत वार्ड 8 निवासी प्रमोद कुमार (30 वर्ष) के रूप में हुई है। वह क्षेत्रीय कृषि ट्रांसफार्मर का फ्यूज सुधारने के लिए खंभे पर चढ़ा था, लेकिन शटडाउन न लेने की वजह से वह तेज करंट की चपेट में आ गया और ट्रांसफार्मर से चिपक गया।
बिना शटडाउन लिए काम करना पड़ा भारी
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, प्रमोद कुमार शटडाउन की प्रतीक्षा किए बिना ही कार्य शुरू कर चुका था। लाइनमैन वरुण कुमार ने बताया कि प्रमोद ने उसे शटडाउन लेने के लिए कॉल किया था, लेकिन जब तक शटडाउन मिल पाता, प्रमोद खंभे पर चढ़ चुका था। इस दौरान किसी के कहने पर उसने काम शुरू किया और वही घातक साबित हुआ।
मौके पर मची अफरातफरी, अस्पताल में तोड़ा दम
घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने प्रमोद को बांस बल्लों की मदद से नीचे उतारा और एंबुलेंस बुलाकर सीएचसी पहुंचाया, लेकिन वहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल में परिजनों के करुण चीत्कार और भारी भीड़ के कारण कोलाहल का माहौल बन गया।
विभागीय लापरवाही पर परिजनों का आक्रोश
घटना के बाद विभागीय अधिकारी घटनास्थल पर नहीं पहुंचे, जिससे परिजनों और ग्रामीणों में भारी आक्रोश था। करीब छह घंटे तक परिजनों ने हंगामा किया और शव को पुलिस के हवाले करने से इंकार कर दिया। परिजन चाहते थे कि कोई वरिष्ठ अधिकारी आकर मुआवजे का आश्वासन दें, तभी शव सौंपा जाएगा।
रात करीब 12 बजे सहायक थानाध्यक्ष शाहिद पुलिस बल के साथ पहुंचे और काफी समझाने-बुझाने के बाद मामला शांत हुआ। इसके बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
प्रमोद कुमार के परिवार में पत्नी अरुणा देवी, मां बिजली देवी, पिता सचेन यादव, एक चार साल का बेटा और छह माह की बेटी है। प्रमोद वर्षों से बिजली विभाग के कार्यों में निजी रूप से सहयोग करता रहा था। दो दिन पहले ही उसे सहयोगी लाइनमैन के रूप में अधिकृत किया गया था, लेकिन उसने अभी तक औपचारिक जॉइनिंग नहीं की थी।
विभागीय मुआवजे की बात
कनीय अभियंता विद्युत वैद्यनाथ प्रसाद गुप्ता ने बताया कि प्रमोद कुमार बिना शटडाउन लिए काम कर रहा था, जो विभागीय नियमों का उल्लंघन है। हालांकि, उन्होंने आश्वस्त किया कि विभागीय प्रावधानों के तहत मुआवजे का प्रयास किया जाएगा।
छातापुर थानाध्यक्ष कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है और मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही है। यह घटना बिजली विभाग की सुरक्षा व्यवस्था और मानवीय लापरवाही की एक और भयावह मिसाल बन गई है। बिना शटडाउन लिए बिजली के कार्यों में लापरवाही और विभागीय प्रशिक्षण की कमी अक्सर जानलेवा साबित होती है। ऐसी घटनाओं से सबक लेते हुए प्रशासन को सख्त और संवेदनशील दोनों स्तर पर कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियां दोहराई न जाएं।