
गुरदासपुर | पंजाब में नशे का जाल अब केवल पुरुषों तक सीमित नहीं रहा। गुरदासपुर सेंट्रल जेल की महिला सेल से मिले आंकड़े चौंकाने वाले हैं — यहां 111 महिला कैदियों में से 95 महिलाएं नशा तस्करी जैसे संगीन अपराध (NDPS एक्ट) में जेल में बंद हैं। यह न केवल पंजाब में नशे की भयावह स्थिति को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि महिलाएं भी इस काले कारोबार में तेजी से शामिल हो रही हैं।
🔍 क्या है मामला?
बुधवार को रेड क्रॉस इंटीग्रेटेड एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर फॉर एडिक्ट्स (IRCA), गुरदासपुर की ओर से गुरदासपुर सेंट्रल जेल में महिलाओं के लिए एक जागरूकता सेमिनार आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का नेतृत्व नेशनल अवॉर्डी डॉ. रोमेश महाजन ने किया। सेमिनार के दौरान यह खुलासा हुआ कि महिला कैदियों में 85% से अधिक महिलाएं NDPS एक्ट के तहत जेल में बंद हैं। ये महिलाएं या तो नशा तस्करी में संलिप्त थीं या नशीले पदार्थों के कारोबार का हिस्सा थीं।
📉 चिंताजनक सामाजिक संकेत
डॉ. महाजन ने कहा कि नशे का धंधा अब महिलाओं को भी अपने शिकंजे में ले रहा है। ये महिलाएं सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि युवाओं और समाज की आने वाली पीढ़ियों की जिंदगी तबाह कर रही हैं।
“ये महिलाएं जब जेल से बाहर निकलें, तो उन्हें पुनर्वास और आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ना चाहिए। समाज को भी उन्हें दूसरा मौका देना होगा।” — डॉ. रोमेश महाजन
🧵 पुनर्वास और कौशल विकास पर जोर
IRCA और जिला बाल कल्याण परिषद की ओर से महिला कैदियों के लिए क्रेच सेंटर, शिक्षा केंद्र और कौशल प्रशिक्षण केंद्र चलाए जा रहे हैं। इनमें:
- सिलाई-कढ़ाई
- ब्यूटीशियन ट्रेनिंग
- हस्तकला और अन्य लघु उद्योग कौशल
शामिल हैं। प्रशिक्षण पूरा करने पर प्रमाणपत्र भी दिया जाता है, जिससे महिलाएं जेल से बाहर आकर स्वरोजगार शुरू कर सकती हैं।
🙏 शपथ और संकल्प
सेमिनार के अंत में सभी महिला कैदियों ने शपथ ली कि वे भविष्य में नशे से दूर रहेंगी, और समाज में एक नई, सकारात्मक शुरुआत करेंगी। उन्हें यह भी समझाया गया कि नशा केवल अपराध ही नहीं, बल्कि सामाजिक विनाश का रास्ता है।