
सतना (मध्य प्रदेश)। जिले के अमरपाटन स्थित सिविल अस्पताल से अंधविश्वास की चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई है, जहां एक बीमार युवती के परिजनों ने इलाज के बजाय झाड़फूंक कराने के लिए अस्पताल परिसर में ही ओझा-सोखा को बुला लिया। अस्पताल जैसे आधुनिक चिकित्सा संस्थान में खुलेआम तंत्र-मंत्र का सहारा लिए जाने से न केवल स्वास्थ्य प्रणाली पर सवाल उठे हैं, बल्कि प्रशासनिक उदासीनता और सुरक्षा की गंभीर चूक भी उजागर हुई है।
इलाज की जगह तंत्र विद्या का सहारा
जानकारी के अनुसार, बीमार युवती सतना जिले के सुआ गांव की निवासी है और वह लंबे समय से बीमारी से पीड़ित थी। परिजनों ने जब दवाइयों से कोई आराम नहीं देखा, तो उन्होंने वैकल्पिक चिकित्सा के नाम पर ओझा को अस्पताल बुला लिया। इसके बाद सिविल अस्पताल परिसर में ही झाड़फूंक शुरू कर दी गई — वह भी खुलेआम, बिना किसी रोक-टोक के।
प्रबंधन मौन, सुरक्षा व्यवस्था लापता
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि अस्पताल प्रबंधन की ओर से इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई गई। न तो डॉक्टरों ने विरोध किया, न ही सुरक्षाकर्मियों ने हस्तक्षेप किया। यह स्थिति न केवल अस्पताल के नियमों का उल्लंघन है, बल्कि चिकित्सा पेशे की गरिमा के साथ एक तरह की खिलवाड़ भी है।
स्वास्थ्य प्रतिनिधि ने जताई चिंता
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए विधायक प्रतिनिधि (स्वास्थ्य विभाग) अब्दुल सलीम ने कहा कि यह कोई पहली घटना नहीं है। उन्होंने कहा, “झाड़फूंक जैसी गतिविधियां न केवल मानवता के लिए घातक हैं, बल्कि आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के प्रति लोगों के भरोसे को भी कमजोर करती हैं। ऐसी घटनाएं दवाओं और विज्ञान से जुड़ी समझ में कमी को उजागर करती हैं।”
उन्होंने प्रशासन से इस पूरे मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की, साथ ही चिकित्सा जागरूकता फैलाने पर जोर दिया।
वैज्ञानिक चेतना की आवश्यकता
इस घटना ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में आज भी अंधविश्वास कितनी गहराई से फैला है। चिकित्सा संस्थानों में ओझा-सोखा की दखलंदाजी न केवल मरीजों की जान के लिए खतरा है, बल्कि समाज को पीछे धकेलने वाला चिंताजनक संकेत भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अब समय आ गया है जब स्कूलों से लेकर पंचायतों तक वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आधुनिक चिकित्सा के महत्व को लेकर विशेष अभियान चलाए जाएं।
प्रशासन के लिए चेतावनी
इस घटना ने सतना जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सीधा सवाल खड़ा किया है। क्या अस्पताल अब झाड़फूंक के केंद्र बनते जा रहे हैं? क्या आधुनिक चिकित्सा पर भरोसे की डोर इतनी कमजोर हो गई है कि तंत्र-मंत्र अस्पतालों में स्थान पा रहा है? यह सवाल न केवल सतना बल्कि पूरे प्रदेश के लिए चेतावनी है।
राज्य सरकार को इस तरह की घटनाओं पर तुरंत संज्ञान लेते हुए कठोर कदम उठाने होंगे ताकि भविष्य में अस्पतालों को फिर कभी अंधविश्वास का अखाड़ा न बनने दिया जाए।