
देहरादून – उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज अपने कार्यकाल के चार साल पूरे कर लिए हैं, जिससे वे राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्यमंत्री बन गए हैं। यह अवधि उनके दो कार्यकालों की संयुक्त परिणति है, जिसने उन्हें न केवल उत्तराखंड की राजनीति में, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक दृढ़ और निर्णायक नेता के रूप में स्थापित किया है।
चार वर्षों की शुरुआत और नेतृत्व की परीक्षा
पुष्कर सिंह धामी को जुलाई 2021 में मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जब राज्य में विधानसभा चुनाव मात्र कुछ महीने दूर थे। पार्टी ने एक युवा चेहरे पर दांव लगाते हुए उन्हें सत्ता में वापसी की जिम्मेदारी दी थी, जबकि राज्य में किसी भी सत्तारूढ़ दल के दोबारा लौटने का मिथक बना हुआ था। धामी ने इस मिथक को तोड़ते हुए भाजपा को दोबारा सत्ता में लौटाया।
नीतियों और कानूनों से बना राष्ट्रीय मॉडल
चार वर्षों के कार्यकाल में धामी सरकार ने कई ऐसे निर्णय लिए जो केवल राज्य में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बने और कई अन्य राज्यों के लिए आदर्श बने:
- समान नागरिक संहिता (UCC):
27 जनवरी 2025 को उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना। इस निर्णय को लेकर धामी सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान बनाई। दो लाख से अधिक पंजीकरण UCC के अंतर्गत हो चुके हैं। - नकल विरोधी कानून:
प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए 2023 में एक सख्त कानून लागू किया गया, जो पूरे देश के लिए एक मॉडल बनकर उभरा। - दंगाइयों से वसूली कानून:
2024 में लागू इस कानून के तहत विरोध प्रदर्शन, दंगे और हड़ताल के दौरान सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों से बाजार मूल्य पर क्षतिपूर्ति की जाती है। - सुधारित गैंगस्टर एक्ट:
गैंगस्टर एक्ट में संशोधन करते हुए गोवध, मानव तस्करी, बाल श्रम, मनी लॉन्ड्रिंग, नकल माफिया जैसे गंभीर अपराधों को इसके दायरे में लाया गया। दोष सिद्ध होने पर 10 साल की सजा और 50 हजार तक जुर्माने का प्रावधान किया गया। - आरक्षण नीतियां:
राज्य आंदोलनकारियों को 10% क्षैतिज आरक्षण और महिलाओं को 33% क्षैतिज आरक्षण सरकारी नौकरियों में दिया गया।
विकास के अन्य प्रमुख निर्णय
- पलायन रोकने की पहल: ‘एप्पल मिशन’ और ‘कीवी मिशन’ की शुरुआत से पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि को प्रोत्साहन मिला।
- ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ योजना: राज्य के पारंपरिक उत्पादों को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का प्रयास।
- भू-कानून और लव-जिहाद के विरुद्ध सख्ती: राज्य में भूमि खरीद, जनसंख्या संतुलन और सामाजिक समरसता के विषयों पर सख्त रुख अपनाया गया।
- 23 हजार सरकारी भर्तियाँ: पारदर्शी और त्वरित प्रक्रिया से भर्ती अभियान चलाया गया।
- धार्मिक व सांस्कृतिक पर्यटन: मानसखंड मंदिर माला मिशन, महासू मंदिर विकास परियोजना और शीतकालीन यात्रा योजनाएं शुरू की गईं।
- अंतरराष्ट्रीय आयोजनों से बढ़ी प्रतिष्ठा: जी-20 बैठकों और राष्ट्रीय खेलों की सफल मेजबानी से उत्तराखंड की अंतरराष्ट्रीय पहचान बनी।
- सुशासन में उत्कृष्ट प्रदर्शन: जीईपी (ग्रोस एनवायरनमेंटल प्रोडक्ट) इंडेक्स में उल्लेखनीय स्थान और एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) इंडेक्स में पहला स्थान प्राप्त किया।
राजनीतिक निरंतरता का प्रतीक
पार्टी नेतृत्व के लिए धामी एक विश्वसनीय चेहरा बनकर उभरे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं उन्हें कई बार प्रोत्साहित कर चुके हैं और उनके सुशासन की सराहना की है। उनकी नेतृत्व क्षमता, विनम्र व्यवहार और निर्णयों में स्पष्टता ने उन्हें राज्य की राजनीति का मजबूत स्तंभ बना दिया है।