
उत्तरकाशी | उत्तराखंड में हो रही लगातार बारिश के चलते गंगोत्री हाईवे एक बार फिर भूस्खलन की चपेट में आ गया है। भटवाड़ी क्षेत्र में हाईवे का लगभग 10 मीटर हिस्सा धंस गया, जिससे वाहनों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है। हाईवे बंद होने से यात्रा पर निकले श्रद्धालु और स्थानीय लोग रास्ते में फंस गए हैं। मौके पर एसडीआरएफ और पुलिस बल तैनात है और राहत व बचाव कार्य जारी है।
बार-बार टूट रहा हाईवे, यात्रियों को हो रही भारी परेशानी
उत्तरकाशी में गंगोत्री और यमुनोत्री मार्गों पर बीते कुछ दिनों से लगातार भूस्खलन हो रहा है, जिससे यात्रियों को बार-बार रुकना पड़ रहा है। भटवाड़ी में सड़क का बड़ा हिस्सा धंसने से मार्ग की स्थिति और भी भयावह हो गई है। भूस्खलन के बाद हाईवे का हिस्सा अब नदी में समाने के खतरे में है, जिससे बीआरओ और प्रशासन अलर्ट पर है।
बीआरओ कर रहा मार्ग बहाली का प्रयास
बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) की टीम द्वारा सड़क की बहाली का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। जैसे ही मार्ग आंशिक रूप से खुलता है, फंसे हुए यात्रियों को सुरक्षित निकाला जा रहा है। पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें लगातार मोर्चे पर डटी हैं।
चार जिलों में येलो अलर्ट, बारिश बनी चुनौती
मौसम विज्ञान विभाग ने गुरुवार को देहरादून, टिहरी, नैनीताल और चंपावत में येलो अलर्ट जारी किया है। इन जिलों में बिजली की गर्जना के साथ तेज बारिश के कई दौर होने की संभावना जताई गई है। मौसम विज्ञानी रोहित थपलियाल के अनुसार अगले पांच दिनों तक भारी बारिश जारी रहेगी, जिससे पर्वतीय क्षेत्रों में तीव्र बौछारें और भूस्खलन की आशंका बनी हुई है।
देहरादून में तापमान में गिरावट
राजधानी देहरादून में हल्की बारिश के बाद तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। अधिकतम तापमान में 1.4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट का अनुमान है। गुरुवार को भी गर्जना के साथ कई दौर की बारिश हो सकती है, जिससे जनजीवन प्रभावित होने की आशंका है।
उत्तरकाशी में भूस्खलन से गंगोत्री हाईवे पर यात्रा एक बार फिर रुकावटों में घिर गई है। भटवाड़ी में सड़क धंसना न केवल यात्रियों के लिए संकट है, बल्कि प्रशासन के लिए भी चुनौती है। ऐसे में मौसम के पूर्वानुमान और जोखिम को देखते हुए यात्रियों से सावधानी बरतने और अनावश्यक यात्रा से बचने की अपील की गई है। प्रशासन और आपदा प्रबंधन बल स्थिति को नियंत्रित करने में जुटे हुए हैं, लेकिन पहाड़ों में बारिश के साथ हमेशा भूस्खलन का खतरा बना रहता है।