
देहरादून | उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच अवशेष परिसंपत्तियों एवं दायित्वों के लंबित मामलों को लेकर उच्च स्तरीय हलचल तेज हो गई है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सचिवालय में इस मुद्दे की समीक्षा बैठक की और अब वे जल्द ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ औपचारिक बैठक करेंगे, ताकि वर्षों से लंबित इन मामलों का समाधान निकाला जा सके।
मुख्यमंत्री धामी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि पूर्व में दोनों राज्यों के बीच बनी सहमतियों पर यदि कार्रवाई शुरू हो चुकी है, तो उन्हें तेज़ गति से आगे बढ़ाया जाए और उत्तर प्रदेश के अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर त्वरित समाधान सुनिश्चित किया जाए।
कई मामलों में हो चुकी है प्रगति
बैठक के दौरान यह जानकारी दी गई कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की पिछली बैठक के बाद कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर सकारात्मक पहल हो चुकी है।
- ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार के जलाशयों व नहरों में वाटर स्पोर्ट्स की अनुमति दी जा चुकी है, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
- उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने अपने बकाया ₹57.87 करोड़ के बिजली बिलों का भुगतान कर दिया है।
- उत्तर प्रदेश मत्स्य निगम ने भी उत्तराखंड मत्स्य पालन विकास अभिकरण को ₹3.98 करोड़ की राशि का भुगतान किया है।
- उत्तराखंड वन विकास निगम को दी जाने वाली देयताओं में भी आंशिक भुगतान हुआ है।
- परिवहन निगम की अवशेष राशि का निपटान हो चुका है।
- आवास विभाग के अंतर्गत आवास विकास परिषद की परिसंपत्तियों के निपटारे का निर्णय भी किया गया है।
वर्षों से लंबित है परिसंपत्ति विवाद
वर्ष 2000 में उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद से ही दोनों राज्यों के बीच परिसंपत्तियों और जिम्मेदारियों के बंटवारे को लेकर अनेक मामले लंबित रहे हैं। इनमें भवन, कार्यालय, निगमों की संपत्तियां, कर्मचारी सेवा लाभ, विभागीय बकाए जैसी अनेक जटिलताएं शामिल हैं। कई बार बैठकें हुईं, लेकिन अंतिम समाधान नहीं निकल पाया।
अब मुख्यमंत्री स्तर पर होने वाली यह बैठक इन विवादों को हल करने की दिशा में एक निर्णायक क़दम मानी जा रही है। मुख्यमंत्री धामी की सक्रियता और लगातार मॉनिटरिंग से उम्मीद की जा रही है कि राज्य को उसका वित्तीय और संस्थागत हक शीघ्र मिलेगा।
दोनों राज्यों के बीच चल रहे परिसंपत्ति विवादों के समाधान की प्रक्रिया अब तेज़ होती दिख रही है। उत्तराखंड सरकार के प्रयास और मुख्यमंत्री धामी की रणनीतिक पहल से वर्षों पुराने मुद्दों पर समाधान की संभावना बढ़ गई है। आगामी बैठक में यह तय होगा कि किस तरह शेष विवादों को भी सहमति से निपटाया जाए ताकि संविधान के अनुरूप राज्यों के बीच संतुलन और न्यायपूर्ण वितरण सुनिश्चित किया जा सके।