
रुद्रप्रयाग। जहां जून का महीना सामान्यतः गर्मियों की छुट्टियों और चारधाम यात्रा की हलचल से जुड़ा होता है, वहीं उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में यह माह बीते दो वर्षों से मौत, मातम और त्रासदी की पहचान बन गया है। हादसों की एक कड़ी ने इस पावन क्षेत्र को ‘ब्लैक जून’ का खौफनाक तमगा दे दिया है।
2025: हादसों की पुनरावृत्ति
इस साल जून के पहले 12 दिनों में ही जिले में 13 लोगों की मौत हो चुकी है। 15 जून को केदारनाथ से गुप्तकाशी आ रहा आर्यन हेलिकॉप्टर गौरी माई खर्क में क्रैश हो गया। हादसे में एक मासूम बच्ची समेत 7 लोगों की दर्दनाक मौत हुई। उनकी पहचान अंगूठी, कंगन और घड़ी जैसी निजी वस्तुओं से की गई। इसके पहले, 7 जून को केदारघाटी के बडासू में एक अन्य हेलिकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग हुई थी। सौभाग्य से उसमें पायलट सहित सभी छह यात्रियों की जान बच गई थी।
ताजा बस हादसा: फिर टूटा सपना
इन जख्मों पर मरहम भी नहीं लगा था कि 27 जून को ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर एक टेंपो-ट्रैवलर अलकनंदा नदी में समा गया। इस वाहन में एक ही परिवार के 18 लोग सवार थे, जो पहली बार चारधाम यात्रा पर आए थे। अब तक 3 की मौत की पुष्टि, और 9 लोग लापता बताए जा रहे हैं। वाहन का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।
पहाड़ के रास्ते, मौत की राह?
इसी जून में एक अन्य हादसे में एक बैंक कर्मचारी की भी दर्दनाक मौत हो चुकी है। ये सिलसिलेवार घटनाएं एक बड़े सवाल को जन्म देती हैं—क्या हमारी यात्रा और आपदा प्रबंधन प्रणाली इन जोखिमों से निपटने में सक्षम है?
2024: पिछले जून की काली छाया
पिछले साल 15 जून को रैंतोली के पास दिल्ली से चोपता जा रहा एक टेंपो-ट्रैवलर खाई में गिर गया था। हादसे में 10 यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि 5 अन्य की जान एम्स में उपचार के दौरान गई।
प्रशासन और यात्रियों के लिए चेतावनी
लगातार दूसरे साल जून में इतने गंभीर हादसे होने से यह स्पष्ट हो गया है कि रुद्रप्रयाग में यह माह ‘ब्लैक जून’ के रूप में दर्ज हो गया है। गंगा और अलकनंदा जैसी उफनती नदियां, दुर्गम मार्ग, असुरक्षित वाहन संचालन, और मौसम की अनिश्चितता इन दुर्घटनाओं की मुख्य वजह बन रहे हैं। इन हालातों में यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को विशेष सावधानी, संगठित यात्रा, अधिकारिक मार्गदर्शन, और प्रशासन को सख्त यात्रा प्रबंधन नीति अपनाने की सख्त ज़रूरत है। वरना ‘ब्लैक जून’ सिर्फ एक मुहावरा नहीं, बल्कि एक त्रासदी बनता जाएगा।