
उत्तराखंड दौरे पर आए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की तबीयत बुधवार को नैनीताल में कुमाऊं विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान अचानक बिगड़ गई। मंच से उतरने के बाद उन्होंने अपने पुराने सहयोगी और 1989 में संसद में साथ रहे डॉ. महेंद्र सिंह पाल को गले लगाया और पुरानी स्मृतियों में डूब गए। भावनात्मक क्षण में डॉ. पाल रोने लगे तो उपराष्ट्रपति भी खुद को रोक नहीं पाए और फूट-फूटकर रो पड़े। इसी दौरान उनकी तबीयत बिगड़ गई।
45 मिनट का संबोधन, भावुक क्षण में यादें हावी
कुमाऊं विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अपने संबोधन में करीब 45 मिनट तक विश्वविद्यालय और उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत पर बात की। इस दौरान उन्होंने कई बार डॉ. महेंद्र सिंह पाल का नाम लेते हुए अपने संसदीय अनुभव साझा किए।
मंच से उतरते ही टूट पड़ा भावनाओं का सैलाब
कार्यक्रम के बाद जब उपराष्ट्रपति मंच से नीचे आए, तो उन्होंने सबसे पहले डॉ. पाल को गले लगाया। करीब 5 मिनट तक दोनों पुराने साथी आपस में बात करते रहे। बीते वर्षों की यादों में खोकर पहले डॉ. पाल भावुक हो गए और फिर उपराष्ट्रपति धनखड़ भी अपने आंसू नहीं रोक सके। इसी भावनात्मक क्षण में उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई।
चिकित्सकों ने दिया तत्काल उपचार, फिर राजभवन रवाना
घटना स्थल पर मौजूद चिकित्सकों की टीम ने तुरंत उपराष्ट्रपति को प्राथमिक उपचार दिया। हालात सामान्य होने पर उन्हें राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) के साथ राजभवन रवाना किया गया।
राजकीय स्वागत, वरिष्ठ अधिकारी रहे मौजूद
धनखड़ के हल्द्वानी आगमन पर राज्यपाल के साथ कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या, सांसद अजय भट्ट, मेयर गजराज बिष्ट, आयुक्त कुमाऊं दीपक रावत, आईजी रिद्धिम अग्रवाल, जिलाधिकारी वंदना, एसएसपी प्रहलाद नारायण मीणा समेत तमाम वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका स्वागत किया।
भावनाओं और संवेदनाओं से भरा दिन
यह दौरा सिर्फ एक राजकीय कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक सांसद के पुराने रिश्तों, यादों और भावनाओं का जीवंत उदाहरण बन गया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का यह भावुक क्षण न केवल वहां मौजूद सभी को स्पर्श कर गया, बल्कि यह दिखाता है कि पद चाहे कितना भी बड़ा हो, मानवीय संवेदनाएं उससे कहीं ऊपर होती हैं।
अब उनकी तबीयत स्थिर बताई जा रही है और वे उत्तराखंड के राजकीय कार्यक्रमों में नियत समय के अनुसार भाग लेंगे।