
हल्द्वानी — उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने 2027 का विधानसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा की है। अमर उजाला से विशेष बातचीत में रावत ने 2022 के विधानसभा चुनाव को अपनी सबसे बड़ी सियासी गलती बताया और कहा कि अगर वह उस समय चुनाव नहीं लड़ते तो कांग्रेस सत्ता में आ सकती थी। रावत ने यह भी स्पष्ट किया कि अब वह पार्टी के प्रचार और समन्वय की भूमिका निभाएंगे।
“2022 का चुनाव लड़ना मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी चूक थी”
हरीश रावत ने साफ कहा कि 2022 में लालकुआं सीट से चुनाव लड़ने का निर्णय उनकी सियासी भूल थी। वह जानते थे कि पराजय होगी, फिर भी पार्टी के दबाव में आकर नामांकन दाखिल कर दिया। उनका मानना है कि यदि उस समय वह चुनावी रण में नहीं उतरते और समन्वयक की भूमिका निभाते, तो पार्टी सत्ता में लौट सकती थी।
2027 में नहीं लड़ेंगे चुनाव, प्रचार की जिम्मेदारी लेंगे
रावत ने बताया कि 2027 में वह चुनाव नहीं लड़ेंगे ताकि पार्टी को समन्वित प्रचार मिल सके। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इस समय ऐसे प्रचारकों की जरूरत है जो प्रदेश भर में जाकर जनता से जुड़ सकें और पार्टी के पक्ष में माहौल बना सकें।
कांग्रेस में नेतृत्व की कमी नहीं
कांग्रेस में संभावित चेहरों के सवाल पर रावत ने कहा कि पार्टी में कई सक्षम नेता हैं। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश अध्यक्ष, प्रीतम सिंह, गणेश गोदियाल, भूपेश कापड़ी, सुमित हृदयेश, प्रकाश जोशी और उमा रावत जैसे नाम गिनाए। उनके अनुसार यह “चतुर्भुज” और दूसरी पंक्ति, दोनों मिलकर पार्टी को सशक्त विकल्प बना सकते हैं।
एनडी तिवारी और केंद्र शासित राज्य की पुरानी गलती भी मानी
हरीश रावत ने 1990 की एक पुरानी घटना का जिक्र करते हुए बताया कि जब केंद्र सरकार उत्तराखंड को केंद्र शासित राज्य बनाना चाहती थी, तब नारायण दत्त तिवारी ने इसका विरोध किया। रावत ने कहा कि वह उस बैठक के आयोजक थे और शायद कुछ नेताओं को न बुलाते तो उत्तराखंड को बहुत पहले राज्य का दर्जा मिल गया होता।
विद्रोह के स्वर अस्थायी, कांग्रेस मजबूत होगी
कुमाऊं में पार्टी के भीतर विद्रोह के स्वर को लेकर रावत ने कहा कि गर्मी की दोपहर में किसी को पानी की छींटे डालनी ही पड़ती हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि जो आज विरोध में हैं, वही कल कांग्रेस की ताकत बनेंगे।
भाजपा पर सीधा हमला: “झूठ, लूट और फूट की सरकार”
रावत ने भाजपा सरकार को झूठ, लूट और फूट पर आधारित करार देते हुए कहा कि देवभूमि में झूठ ज्यादा दिनों तक नहीं टिकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि जनता भाजपा की असलियत समझ चुकी है और 2027 में निश्चित बदलाव आएगा।
डेमोग्राफी पर भाजपा का डर फैलाना: “विकास का कोई एजेंडा नहीं बचा”
राज्य की जनसंख्या संरचना में बदलाव को लेकर भाजपा द्वारा जताई जा रही चिंता पर रावत ने कहा कि यह केवल एक डर फैलाने वाला हथकंडा है। उन्होंने दावा किया कि 2014 से 2017 के बीच बाहरी लोगों की आमद सबसे कम थी और अब सबसे ज्यादा है। उन्होंने भाजपा को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।
कांग्रेस की रणनीति: “50 फायरब्रांड वक्ता चाहिए”
2027 की रणनीति पर रावत ने कहा कि कांग्रेस को आक्रामक होना होगा और ऐसे वक्ताओं की टीम बनानी होगी जो भाजपा की “झूठ-लूट-फूट” की राजनीति को बेनकाब कर सकें। उन्होंने बताया कि वह प्रदेश का दौरा कर जननब्ज टटोल रहे हैं और हालात का आकलन कर रहे हैं।
यादगार निर्णय और मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर सफाई
मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान सबसे महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में रावत ने आपदा के बाद खुद नुकसान का आकलन करने का अधिकार लोगों को देना बताया। वहीं मुस्लिम यूनिवर्सिटी पर प्रचारित अफवाहों पर उन्होंने फिर चुनौती दोहराई कि कोई प्रमाण पेश करे तो वह अपनी संपत्ति तक सौंपने को तैयार हैं।
हरक सिंह रावत के आरोपों का जवाब
हरीश रावत ने हरक सिंह रावत के उस आरोप को आंशिक रूप से स्वीकारा जिसमें कहा गया कि 2022 का चुनाव उनके कारण कांग्रेस हारी। उन्होंने कहा कि यह सच है कि अगर वे चुनाव नहीं लड़ते तो पार्टी को लाभ हो सकता था।