
देहरादून। मौसम परिवर्तन होने के कारण ठंड बढ़ने लगी है। इससे भालू हाइबरनेशन में चले जाते हैं। प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव का कहना है कि भालू शीत निद्रा (हाइबरनेशन) में जाने से पहले थोड़े चिड़चिड़े हो जाते हैं। यही कारण है कि आजकल भालुओं में आक्रामकता बढ़ गई है। दून अस्पताल में हर 15 दिन में एक मरीज भालू के हमले में घायल होकर पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों के मुताबिक इस तरह के मामले पर्वतीय क्षेत्रों से सामने आ रहे हैं।
भालू हाइबरनेशन में जाने से पहले थोड़े चिड़चिड़े हो जाते हैं। इसी समय खेतों में भी काम होता है। इसके कारण भालू के हमले की घटनाएं अधिक सामने आती हैं। खेतों में जाते समय समूह में जाएं। अगर काम कर रहे हैं तो बीच में कुछ शोर भी करें। इस समय सजग रहने की ज्यादा जरूरत है। अगर कहीं पर लगातार भालू दिखाई दे रहा है, तो उसकी सूचना वन कर्मियों को दें।
दून अस्पताल में पिछले कुछ दिनों से कुत्ते काटने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जहां पूर्व के दिनों में अस्पताल में हर रोज कुत्ते काटने के पांच से छह मामले ही सामने आ रहे थे। वहीं अब कुत्ते काटने के मामलों की संख्या बढ़कर करीब 25 पहुंच गई है। दून अस्पताल के इमरजेंसी में तैनात चिकित्सा अधिकारी डॉ. अमित ने बताया के कुत्ते काटने के मामलों में अभी हाल ही मेंं बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।
इसके साथ ही भालू के काटने के भी मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में अस्पताल में एंटी रैबीज लगवाने आ रहे मरीजों को सावधान रहने की सलाह दी जा रही है। कुत्ते काटने के मामलों में हुई बढ़ोत्तरी की कई वजह सामने आ रही हैं। इस पर वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅ. वरुण अग्रवाल ने बताया कि यह कुत्तों का प्रजनन काल है। यही कारण है कि उनमें आक्रामकता बढ़ गई है। इसके अलावा कुत्तों के शरीर का तापमान भी काफी ज्यादा होता है। वहीं जब मौसमी तापमान घटता है तो वे काफी सहज महसूस करते हैं। इस दौरान लोगों द्वारा उकसाए जाने पर वे जल्दी हमलावर हो जाते हैं। ऐसे में लोगों को सतर्क रहना होगा।