नई दिल्ली। म्यांमार में अच्छी नौकरी का लालच देकर चीनी ठग भारतीयों को गुलाम बना रहे हैं। इसके बाद इन्हें साइबर क्राइम सहित दूसरे अपराधों में धकेल दिया जाता है। विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को बताया कि म्यांमार स्थित भारतीय दूतावास ने स्थानीय सैन्य शासन की मदद से चार और भारतीयों को मुक्त कराने के बाद भारत रवाना किया है। दूतावास अब तक 400 भारतीयों को चीनी ठगों की कैद से छुड़ाकर भारत वापस भेजा चुका है। भारतीय दूतावास ने भारतीयों को सलाह दी है कि वे म्यांमार में नौकरी संबंधी विज्ञापनों को लेकर सतर्क रहें और किसी भी अपराध व ठगी का शिकार बनने से बचें।
चीनी गिरोह के चंगुल से बचकर आए केमिकल इंजीनियर राकेश बताते हैं कि वह करीब 11 महीने कैद में रहे। इस दौरान उनसे सैकड़ों अनजान लोगों से हजारों डॉलर की ठगी कराई गई। शुरुआत में तो उन्हें लगा कि ये लोग सिर्फ साइबर ठग हैं, जो उनके भाषा कौशल का इस्तेमाल कर रहे हैं। मगर, जब उन्होंने वहां से निकलना चाहा, तो गिरोह का असल रूप सामने आया। पता चला कि उन्हें बंदी बनाया गया है। राकेश ने बताया कि उन्हें व्हाइट कॉलर नौकरी के वादे के साथ थाईलैंड बुलाया गया, जहां से म्यांमार ले जाया गया और कैद में रखा गया। यातनाएं दी गईं।
संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि म्यांमार में चीनी गिरोहों ने 1.20 लाख लोगों को गुलाम बना रखा है। इनमें भारतीय, पाकिस्तानी, बांग्लादेशी के साथ ही पूर्वी एशियाई देशों के लोग शामिल हैं। राकेश ने बताया कि उन्होंने ठगी में लिप्त होने से मना किया, तो एक चीनी शख्स ने कहा कि मना नहीं कर सकते। अगर काम नहीं किया तो मार दिए जाओगे। राकेश ने बताया कि पहले उनसे एक सुंदर लड़की के नाम पर डिजिटल प्रोफाइल बनवाया गया, जिसके जरिये कुछ लोगों को प्रेम के नाम पर तो कुछ लोगों को अश्लील बातचीत के जरिये ठगा गया।
चीनी गिरोह अंग्रेजी में अच्छे ढंग से बात करने वाले लोगों को म्यांमार सरकार और बड़ी कंपनियों में अच्छी नौकरी के नाम पर फंसाते हैं। इसके बाद उन्हें क्रिप्टोकरेंसी से लेकर तमाम दूसरे तरीकों से साइबर अपराधों के लिए मजबूर किया जाता है। खासतौर पर अमेरिकी व यूरोपीय लोगों को शिकार बनाया जाता है। अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन ने जालसाजी का पर्दाफाश करते हुए बताया, चीनी गिरोह नए-नए तरीकों से लोगों को ठग रहे हैं। इसके लिए वे भारतीय गुलामों का इस्तेमाल करते हैं।