
देहरादून | देहरादून जिले के मजाड़ा क्षेत्र में सोमवार-मंगलवार की रात बादल फटने से भारी तबाही मच गई। लोग सहस्रधारा नदी की ओर ध्यान लगाए हुए थे, क्योंकि पिछली बार भी यही नदी आपदा लेकर आई थी। गांववाले नदी के उफान को देखते हुए प्रार्थना कर रहे थे कि पानी उनका रास्ता न रोके। लेकिन इसी बीच, पीछे से अचानक पहाड़ का एक बड़ा हिस्सा टूटकर गिर पड़ा और पूरे गांव में अफरातफरी मच गई।
नदी की ओर देखते रहे लोग, पीछे से आया खतरा
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि लोग नदी पर नजरें गड़ाए हुए थे और किसी का ध्यान पहाड़ की तरफ नहीं गया। तभी पहाड़ी का हिस्सा टूटकर नीचे आ गया और कई घर मलबे में दब गए। घटना इतनी तेज़ थी कि ग्रामीणों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। हालांकि कई लोगों ने भागकर अपनी जान बचाई, मगर चार लोग और बड़ी संख्या में मवेशी मलबे में दब गए।
घरों और मवेशियों का नुकसान
आपदा से मजाड़ा गांव के कई घर जमींदोज हो गए। जिन लोगों के घर पहाड़ की ढलान पर थे, वे पूरी तरह से उजड़ गए। खेत-खलिहान तक मलबे में दब गए। मवेशियों के दब जाने से ग्रामीणों को आर्थिक झटका भी लगा है।
पहले कभी नहीं देखी ऐसी तबाही
गांव की बुजुर्ग महिलाएं सुहारी और आरती ने कहा कि उन्होंने दशकों से इस गांव में जीवन बिताया है। पहाड़ हमेशा उनके लिए सुरक्षा और आजीविका का आधार रहा है। लेकिन इस बार वही पहाड़ काल बनकर टूट पड़ा। उनका कहना था—“हमने कभी नहीं सोचा था कि अपने पहाड़ से ही हमें ऐसा खतरा झेलना पड़ेगा। पहली बार हमने इसका रौद्र रूप देखा।”
2011 से अलग हालात
ग्रामीणों के अनुसार, 2011 में जब बादल फटा था तब गांव को बहुत अधिक नुकसान नहीं हुआ था। तब नदी ने उफान मचाया था, लेकिन पहाड़ सुरक्षित रहा। इस बार हालात बिल्कुल अलग थे, क्योंकि पहाड़ ही टूट पड़ा और तबाही का कारण बन गया।
प्रशासन और राहत कार्य
घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन और आपदा प्रबंधन दल मौके पर पहुंचा। मलबे में दबे लोगों की तलाश और राहत-बचाव कार्य देर रात तक जारी रहा। आपदा प्रबंधन की टीमों ने ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का प्रयास किया।
डर और असुरक्षा का माहौल
गांव में अभी भी भय का माहौल है। लोग अपने घरों से बाहर खुले में रात गुजारने को मजबूर हैं। हर कोई सहमा हुआ है कि कहीं पहाड़ से फिर मलबा न गिरे।




