
जौलीग्रांट (देहरादून) | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को उत्तराखंड दौरे के दौरान सीधे आपदा प्रभावितों से मिले। पौड़ी जिले के सेंजी गांव की ग्राम प्रधान रेखा देवी ने पीएम के सामने गांव की तबाही की दर्दभरी कहानी सुनाई। 6 अगस्त को भारी विस्फोट के साथ गिरे मलबे ने 16 घर जमींदोज कर दिए, पशुधन और फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा। ग्राम प्रधान रेखा देवी ने प्रधानमंत्री मोदी को बताया कि 6 अगस्त की सुबह लगभग सात बजे गांव में अचानक तेज विस्फोट की आवाज हुई।
कुछ ही पलों में पहाड़ से भारी मलबा टूटकर नीचे आया और पूरे गांव में तबाही मचा दी। इस हादसे में 16 घर पूरी तरह नष्ट हो गए। आठ परिवारों के लगभग 20 गोवंश की मौत हो गई। खेतों में खड़ी धान, मंडुवा और झंगोरा की फसल भी मलबे में दबकर चौपट हो गई। ग्रामीणों के अनुसार, यह मलबा जमीन के भीतर से उठे विस्फोट के कारण गिरा, जिससे अब भी खतरा बना हुआ है।
राहत शिविरों में गुजर-बसर
तबाही के बाद प्रभावित परिवारों को गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बनाए गए राहत शिविरों में रखा गया है। कुछ लोगों ने पड़ोसी ग्रामीणों के घरों में शरण ली है। प्रशासन की ओर से मुआवजा दिया गया है, लेकिन लोगों का दर्द अब भी ताजा है। बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो, इसके लिए विभिन्न सामाजिक संगठनों ने ड्रेस, किताबें और अन्य पाठ्य सामग्री बांटी हैं।
उम्मीद जगी है, लेकिन खतरा अब भी बना
प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद ग्राम प्रधान रेखा देवी ने कहा कि अब उम्मीद है कि सरकार उन्हें नए घर बसाकर देगी और जीवन को पटरी पर लाने में मदद करेगी। हालांकि उन्होंने चेताया कि गांव पर अब भी खतरा मंडरा रहा है क्योंकि पहाड़ के भीतर से होने वाले विस्फोट कभी भी दोबारा बड़ी तबाही ला सकते हैं। सेंजी गांव की यह कहानी बताती है कि प्राकृतिक आपदाओं से पहाड़ी गांव किस तरह एक झटके में उजड़ जाते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी से सीधी मुलाकात ने प्रभावितों में विश्वास जगाया है, लेकिन राहत और पुनर्वास की प्रक्रिया लंबी है। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए वैज्ञानिक अध्ययन और ठोस आपदा प्रबंधन की आवश्यकता और भी ज्यादा महसूस की जा रही है।