
बड़कोट (उत्तरकाशी) | लगातार 19 दिन से बंद यमुनोत्री हाईवे ने स्थानीय ग्रामीणों और तीर्थयात्रियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। खरसाली और आसपास के गांवों में जरूरत की चीजें खच्चरों के जरिए पहुंचाई जा रही हैं। गुरुवार को ही खरसाली के लिए 82 गैस सिलिंडर और 34 पैकेट रसद भेजी गई। वहीं, हाईवे पर बड़े बोल्डरों को तोड़ने के लिए पोकलेन और कम्प्रेशर मशीनें मौके पर पहुंचाई जा चुकी हैं। यमुनोत्री हाईवे पर जंगलचट्टी और बनास के समीप भारी भूस्खलन के बाद से मार्ग बंद पड़ा है।
19 दिन बीत जाने के बावजूद स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हो सकी है। इस कारण न सिर्फ तीर्थयात्री धाम तक नहीं पहुंच पा रहे, बल्कि आसपास के आधा दर्जन से ज्यादा गांवों में भी रोजमर्रा की वस्तुओं की किल्लत बनी हुई है। हालांकि गुरुवार को एनएच विभाग ने हनुमानचट्टी के पास लटके हुए बोल्डर और पत्थर हटाकर वहां आंशिक रूप से आवाजाही शुरू कर दी है। अब प्रयास है कि शुक्रवार शाम तक बनास और नारायणचट्टी के पास भी रास्ता खोल दिया जाए।
खच्चरों से गांवों तक राहत
मार्ग बंद होने के कारण रसद और रसोई गैस सिलिंडर पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी पीड़ी सौंदाण ने बताया कि हनुमानचट्टी से खच्चरों के जरिए खरसाली गांव के लिए 82 गैस सिलिंडर और 34 पैकेट रसद भेजी गई है। इसके अलावा, बनास गांव के ग्रामीणों को हनुमानचट्टी में ही 109 पैकेट सामग्री वितरित की गई। शुक्रवार को नारायणपुरी के लिए भी खच्चरों से सामग्री भेजी जाएगी।
प्रशासन की चुनौती
एनएच के ईई मनोज रावत ने बताया कि बनास के पास बड़ी-बड़ी चट्टानें हटाने में दिक्कत आ रही थी, लेकिन अब वहां पोकलेन और कम्प्रेशर मशीन लगा दी गई हैं। उम्मीद है कि शुक्रवार शाम तक हाईवे पर आवाजाही सुचारू हो जाएगी। लगातार 19 दिनों से बंद यमुनोत्री हाईवे ने स्थानीय जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। राहत सामग्री और सिलिंडर खच्चरों से पहुंचाना फिलहाल एकमात्र सहारा है। प्रशासन मशीनरी लगा चुका है, लेकिन मार्ग पूरी तरह खुलने में अभी समय लग सकता है।