
नरेंद्रनगर/बड़कोट (टिहरी–उत्तरकाशी)। उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में लगातार हो रही बारिश ने जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। गुरुवार देर रात को ऋषिकेश–गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग नरेंद्रनगर के बगड़धार क्षेत्र में भूस्खलन से बाधित हो गया। पहाड़ी से अचानक भारी मात्रा में मलबा और बोल्डर सड़क पर आने से यातायात पूरी तरह ठप हो गया। रातभर सैकड़ों वाहन दोनों ओर फंसे रहे और लंबी कतारें लग गईं।
इधर, उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर हालात और भी गंभीर हैं। बनास–नारद चट्टी के पास यह मार्ग लगातार 20वें दिन भी बंद पड़ा है। भारी मलबे और टूटे हुए हिस्सों के कारण यहां से वाहन चलाना तो दूर, पैदल गुजरना भी खतरे से खाली नहीं है। फूलचट्टी के पास जानकीचट्टी को जोड़ने वाली ध्वस्त सड़क ने स्थानीय निवासियों और तीर्थयात्रियों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
यात्रियों और स्थानीय लोगों की परेशानी
चारधाम यात्रा के लिए आए श्रद्धालु जगह-जगह फंसे हुए हैं। सड़क बाधित होने के कारण कई यात्री सुरक्षित ठिकानों तक लौटने को विवश हैं। वहीं स्थानीय लोगों को रोजमर्रा की जरूरतों की आपूर्ति में भारी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। दवाइयों, खाद्य सामग्री और पशुओं के चारे की कमी होने लगी है।
प्रशासन पर उठे सवाल
ऐसे हालात में जिला प्रशासन द्वारा 13 सितंबर से यमुनोत्री धाम की यात्रा शुरू करवाने के दावे सवालों के घेरे में हैं। जब मुख्य मार्ग लगातार बंद हैं और वैकल्पिक व्यवस्था भी सुरक्षित नहीं है, तब यात्रा शुरू करने का निर्णय लोगों की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।
प्रदेश में 177 मार्ग बंद
राज्यभर में फिलहाल 177 मार्ग बंद पड़े हैं, जिनमें तीन राष्ट्रीय राजमार्ग भी शामिल हैं।
- टिहरी जिले में 23 सड़कें
- चमोली में 32
- रुद्रप्रयाग में 25
- पौड़ी में 12
- उत्तरकाशी में 21
- देहरादून में 16
- हरिद्वार में 1
- पिथौरागढ़ में 18
- अल्मोड़ा में 16
- बागेश्वर में 6
- नैनीताल में 7 सड़कें बंद पड़ी हैं।
चंपावत और ऊधमसिंह नगर ऐसे जिले हैं जहां कोई मार्ग बाधित नहीं है।
मौसम विभाग का अलर्ट
मौसम विज्ञान केंद्र ने देहरादून, उत्तरकाशी, चमोली, पौड़ी, बागेश्वर, नैनीताल, चंपावत और पिथौरागढ़ जिलों के लिए भारी से भारी बारिश का यलो अलर्ट जारी किया है। अन्य जिलों में भी बिजली गिरने और तेज बौछारों के आसार हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और मौसम के बदले पैटर्न के कारण पर्वतीय इलाकों में तेज बारिश का सिलसिला लगातार बना हुआ है। हालांकि मैदानी इलाकों में मानसून की रफ्तार अब कुछ धीमी हुई है।
आगे भी मुश्किलें
पूर्वानुमान के अनुसार 17 सितंबर तक प्रदेशभर में हल्की से तेज बारिश का दौर जारी रहने की संभावना है। इसका सीधा असर चारधाम यात्रा, कृषि कार्यों और ग्रामीण इलाकों की जीवनरेखा कही जाने वाली सड़कों पर पड़ेगा।