
गैरसैंण | उत्तराखंड की राजनीति एक बार फिर गैरसैंण की पहाड़ियों में गूंज रही है। एक साल के लंबे इंतज़ार के बाद गैरसैंण विधानसभा में सोमवार से मानसून सत्र का आगाज़ हो गया है। पिछले वर्ष 21 अगस्त को यहां सत्र हुआ था, जिसके बाद से राजधानी देहरादून में ही बजट और अन्य कार्यवाही संचालित होती रही। लेकिन अब एक बार फिर पहाड़ की गोद में विधान सभा का सत्र शुरू हुआ है और पहाड़वासियों की उम्मीदें जाग उठी हैं।
देहरादून से गैरसैंण तक का सफ़र और हालात
बीते एक साल में उत्तराखंड ने कई राजनीतिक उठापटक देखी। राजधानी देहरादून में बजट सत्र हुआ, लेकिन गैरसैंण और भराड़ीसैंण में सन्नाटा पसरा रहा। इस बार जब मंत्रिमंडल और विधायकों का काफ़िला गैरसैंण पहुंचा, तो रास्ते भर आपदा के जख्म साफ़ नज़र आए। टूटी सड़कों, भूस्खलन और बारिश से बेहाल इलाकों ने नेताओं और जनता दोनों को एक बार फिर पहाड़ की कठिनाइयों का एहसास कराया।
सरकार के काफ़िले को भारी बारिश और भू-स्खलन के खतरे से जूझते हुए गैरसैंण तक पहुंचना पड़ा। दिनभर मलबे से पटी सड़कों पर गाड़ियां रुक-रुककर चलीं, लेकिन आखिरकार गैरसैंण का सन्नाटा टूटा और विधानसभा प्रांगण में रौनक लौट आई।
सरकार और विपक्ष आमने-सामने
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने मंत्रियों और विधायकों के साथ पूरी ताक़त के साथ गैरसैंण पहुंचे। वहीं विपक्ष ने भी यहां डेरा डाल दिया है और सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। बेरोजगारी, पलायन, आपदा प्रबंधन, टूटी सड़कें और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दों पर विपक्ष सरकार को कटघरे में खड़ा करने की रणनीति बना रहा है।
जनता की उम्मीदें और दर्द
गैरसैंण के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोग इस सत्र से बड़ी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। उनका मानना है कि जब सरकार ने खुद टूटी-फूटी सड़कों से गुजरकर उनकी मुश्किलों को महसूस किया है, तो इस बार विधानसभा में उसके समाधान की दिशा में ठोस पहल होनी चाहिए।
एक स्थानीय निवासी ने कहा, “हम सालों से सड़क और स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझ रहे हैं। इस बार विधायक और मंत्री जब खुद इन हालात से गुज़रे हैं तो उम्मीद है कि हमारी आवाज़ विधानसभा तक पहुंचेगी।”
गैरसैंण: उम्मीदों की राजधानी
गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की बहस पिछले कई सालों से जारी है। हालांकि सरकार ने अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया, लेकिन हर साल यहां होने वाला सत्र जनता की उम्मीदों को हवा देता है। पहाड़वासी चाहते हैं कि गैरसैंण केवल प्रतीकात्मक राजधानी न रहकर विकास की असली राजधानी बने।