
औरैया | उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के बिधूना कोतवाली क्षेत्र के एक छोटे से गाँव में रक्षाबंधन की रात हुई एक दर्दनाक वारदात ने पूरे प्रदेश को स्तब्ध कर दिया है। 14 वर्षीय किशोरी, जो आठवीं कक्षा की छात्रा थी, अपने घर के पास ही ताऊ के घर राखी बांधने गई थी। किसी को अंदाज़ा भी नहीं था कि यह उसका घर से आख़िरी बार बाहर जाना होगा। रात करीब 10 बजे वह घर लौटी। पिता पास की झोपड़ी में सो रहे थे और माँ गौतमबुद्धनगर में नौकरी करती थीं। अगली सुबह जब पिता ने बेटी को जगाने की कोशिश की, तो चारपाई पर उसका निर्जीव शरीर देखकर उनकी चीख निकल गई। बरामदे में रखी चारपाई पर खून से सनी चादर, कपड़ों पर रक्त के धब्बे और मृतका की हालत देखकर तुरंत पुलिस को बुलाया गया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोला सच
एसपी अभिजीत आर. शंकर ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए — किशोरी के साथ बलात्कार के बाद गला घोंटकर हत्या की गई थी। रिपोर्ट में स्पष्ट था कि मृत्यु दम घुटने से हुई, और उससे पहले यौन शोषण हुआ। पुलिस ने पिता की तहरीर पर किशोरी के चचेरे भाई समेत पाँच लोगों के खिलाफ पॉक्सो एक्ट, धारा 302 (हत्या) और धारा 376 (दुष्कर्म) के तहत मुकदमा दर्ज किया।
गिरफ्तारी और आरोपी का कबूलनामा
बिधूना पुलिस और स्वॉट टीम ने मंगलवार सुबह छापेमारी कर पाँचों आरोपियों को पकड़ लिया। पूछताछ के दौरान 24 वर्षीय चचेरे भाई ने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया।
उसने पुलिस को बताया —
“उस रात मैंने शराब पी रखी थी। करीब 12 बजे पेट खराब होने पर खेत की ओर गया। लौटते समय चाचा के घर में घुस गया, जहाँ वह अकेली थी। नशे में उसे दबोच लिया। वह रोने लगी और कहने लगी ‘भइया ऐसा मत करो’, लेकिन मैंने उसका मुँह दबा दिया। दुष्कर्म के दौरान रक्तस्राव होने लगा। डर था कि वह सबको बता देगी, इसलिए कपड़े पहनाकर उसका गला दबाकर मार डाला।”
क्राइम पेट्रोल से मिली ‘सीख’
पुलिस के अनुसार आरोपी टीवी और मोबाइल पर अक्सर क्राइम पेट्रोल जैसे क्राइम शो देखा करता था। उसने अपराध के बाद सबूत मिटाने की कोशिश की — खून से सनी चादर बदलने और कमरे की सफाई — लेकिन खून के धब्बे और परिस्थितिजन्य साक्ष्य ने उसे बेनकाब कर दिया।
पुलिस को कैसे हुआ शक
हत्या के बाद जब पुलिस शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जा रही थी, तो परिवार के सभी सदस्य चुपचाप थे, लेकिन आरोपी चचेरा भाई विरोध करते हुए हंगामा करने लगा।
अगले दिन जब मृतका की माँ गौतमबुद्धनगर से लौटीं, तो आरोपी ने उन्हें भड़काकर गाँव के बाहर ले जाकर भीड़ जुटा दी और पुलिस के खिलाफ नारेबाज़ी की। पुलिस अधिकारियों ने देखा कि इस दौरान आरोपी के चेहरे पर न तो दुख था, न ही पछतावा। यह व्यवहार ही शक की बुनियाद बना।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
कोतवाल मुकेश बाबू चौहान के अनुसार, आरोपी और मृतका दोनों एक ही बिरादरी के हैं। गाँव में उनकी बिरादरी के सात परिवार रहते हैं, जिनके घर पास-पास बने हैं। घटना के समय आरोपी की पत्नी और दो बच्चे इटावा में अपने मायके गए हुए थे।
गाँव में मातम और गुस्सा
गाँव के लोग इस घटना को ‘इंसानियत को शर्मसार करने वाली’ बताते हुए गुस्से में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि आरोपी को फाँसी से कम सज़ा नहीं मिलनी चाहिए। मृतका के परिवार के घर मातम पसरा है। पिता बार-बार यही कह रहे हैं — “मैंने अपनी बेटी को उसके ही भाई के घर भेजा था, यह नहीं सोचा था कि वही उसकी जान ले लेगा।”
कानूनी कार्यवाही और आगे की सुनवाई
एसपी ने बताया कि आरोपी को मंगलवार दोपहर कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ से उसे इटावा जिला जेल भेज दिया गया।
पॉक्सो एक्ट के तहत यह अपराध ‘रेयर ऑफ द रेयरेस्ट’ श्रेणी में आता है, जिसमें दोषी पाए जाने पर मृत्युदंड तक का प्रावधान है। पुलिस ने फॉरेंसिक रिपोर्ट और डीएनए सैंपल कोर्ट में पेश करने की तैयारी शुरू कर दी है।
सामाजिक संदेश
यह घटना एक बार फिर सवाल उठाती है कि नाबालिग लड़कियों की सुरक्षा केवल बाहर से नहीं, बल्कि घर के भीतर से भी खतरे में हो सकती है। अपराधी अगर घर का ही सदस्य निकले, तो भरोसे की बुनियाद टूट जाती है।