
देहरादून | उत्तराखंड सरकार ने इस साल का मानसून सत्र ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के भराड़ीसैंण विधानसभा भवन में कराने का निर्णय लिया है। राजभवन से मंजूरी मिलने के बाद विधानसभा सचिवालय ने 19 से 22 अगस्त तक चलने वाले सत्र की अधिसूचना जारी कर दी है।
सत्र की तैयारियों के लिए विधानसभा सचिवालय और प्रशासनिक मशीनरी ने व्यवस्थाएं लगभग पूरी कर ली हैं। सुरक्षा, परिवहन, आवास और तकनीकी व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है ताकि चार दिवसीय कार्यवाही सुचारू रूप से हो सके।
विधायकों की ओर से 545 सवाल
विधानसभा सचिवालय के अनुसार, अब तक सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों की ओर से कुल 545 प्रश्न प्राप्त हो चुके हैं। इन प्रश्नों का एक बड़ा हिस्सा हाल के दिनों में प्रदेश में हुई प्राकृतिक आपदाओं, भूस्खलनों और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास से जुड़ा है।
धराली, टिहरी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जैसे जिलों में भारी बारिश और भूस्खलन से जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में विधायकों की प्राथमिकता इन मुद्दों को सदन में उठाना होगी।
विपक्ष का तेवर, सत्ता पक्ष की तैयारी
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि “पूरा प्रदेश आपदा से जूझ रहा है। हम आपदा प्रभावितों के मुद्दे, पुनर्वास की स्थिति, भ्रष्टाचार और राहत कार्यों में लापरवाही जैसे विषयों को सदन में मजबूती से रखेंगे। खराब मौसम का हवाला देकर भराड़ीसैंण में सत्र न करना हमें स्वीकार नहीं है।”
उधर, सत्ता पक्ष ने भी विपक्ष के हमलों का जवाब देने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। भाजपा के विधायकों को विभागीय मंत्रियों और अधिकारियों से अपने-अपने क्षेत्रों के सवालों के उत्तर तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
मौसम और भौगोलिक चुनौतियाँ
भराड़ीसैंण में सत्र कराने को लेकर मौसम सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। पहाड़ी मार्गों पर लगातार हो रही भारी बारिश से भूस्खलन की घटनाएं बढ़ी हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों के साथ-साथ सैकड़ों अधिकारी, कर्मचारी और सुरक्षा बल के जवानों को भराड़ीसैंण तक सुरक्षित पहुंचाना प्रशासन के लिए बड़ी जिम्मेदारी होगी।
सत्र के दौरान आकस्मिक मौसम खराबी की स्थिति में वैकल्पिक यातायात और ठहरने की व्यवस्थाएं भी तैयार की जा रही हैं।
संवैधानिक बाध्यता
संविधान के अनुसार विधानसभा का अगला सत्र, पिछले सत्र के छह माह के भीतर होना जरूरी है। 22 फरवरी 2025 को देहरादून में बजट सत्र हुआ था, इसलिए 22 अगस्त से पहले मानसून सत्र आहूत करना संवैधानिक अनिवार्यता है।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने कहा — “प्रदेश सरकार स्थान और समय तय करती है। भराड़ीसैंण में सत्र के लिए हमारी तरफ से तैयारी पूरी है।”
संभावित एजेंडा
- हाल की आपदा और राहत कार्यों की समीक्षा
- प्रभावित परिवारों के पुनर्वास योजना
- भ्रष्टाचार के आरोप और प्रशासनिक लापरवाही
- सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की स्थिति
- पहाड़ी क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन की स्थायी नीति
प्रदेश की नज़र भराड़ीसैंण पर
भराड़ीसैंण में सत्र आयोजित करने के फैसले से एक ओर ग्रीष्मकालीन राजधानी की महत्ता को बल मिला है, तो दूसरी ओर आपदा की मार झेल रहे पहाड़ों से जुड़े मुद्दों पर प्रत्यक्ष चर्चा का अवसर मिलेगा। चार दिवसीय सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस और आरोप-प्रत्यारोप तय माने जा रहे हैं।