
उत्तरकाशी | उत्तरकाशी जिले की खीर गंगा में 5 अगस्त को आई भीषण आपदा को आठ दिन बीत चुके हैं, लेकिन प्रभावित क्षेत्र अब भी सामान्य जीवन से बहुत दूर हैं। प्रशासन ने 68 लोगों के लापता होने की आधिकारिक पुष्टि की है, जिनमें से 25 नेपाली मूल के मजदूर हैं। इस बीच, गंगोत्री धाम, हर्षिल और धराली के सैकड़ों लोग जिला मुख्यालय से कटे हुए हैं। राहत व बचाव कार्य लगातार जारी है, लेकिन कभी नदी के जलस्तर में अचानक बढ़ोतरी और कभी संचार सेवा ठप हो जाने से कार्य में रुकावट आती रही है। कई ग्रामीण अपने परिजनों और परिचितों से संपर्क तक नहीं कर पाए हैं।
गंगोत्री हाईवे अब भी बंद
आपदा के बाद से डबरानी से आगे गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह ठप है। सड़क के कई हिस्से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। BRO और लोक निर्माण विभाग की टीमें मलबा हटाने में जुटी हैं, लेकिन लगातार बारिश और भूस्खलन के खतरे के कारण काम की गति धीमी है।
वर्तमान में धराली तक पहुँचने का एकमात्र विकल्प 30 किलोमीटर का कठिन पैदल रास्ता है, जो बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है। टूटे पुल, मलबे के ढेर और खड़ी पहाड़ी चढ़ाई इस यात्रा को और भी जोखिमभरा बना रहे हैं।
हवाई राहत अभियान
सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, एसडीआरएफ और आपदा प्रबंधन की त्वरित प्रतिक्रिया टीमें (QRT) राहत कार्यों में जुटी हैं।
- चिनूक, एमआई-17 और अन्य आठ हेलीकॉप्टर लगातार राहत सामग्री पहुंचाने और लोगों को सुरक्षित निकालने में लगे हैं।
- अब तक 1,278 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया जा चुका है, जिनमें सात गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। इन्हें जिला अस्पताल ले जाकर डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।
लापता और मृतक
- कुल 68 लोग लापता, जिनमें 24 नेपाली मजदूरों के परिवारों से संपर्क किया जा रहा है।
- अब तक एक शव की पहचान धराली गांव के युवक के रूप में हुई है।
- प्रशासन का कहना है कि मलबे की सफाई और खोज कार्य जारी रहेगा, लेकिन तेज धारा और भू-स्खलन का खतरा बड़ी बाधा है।
राहत और पुनर्वास कार्य
प्रभावित गांवों में अस्थायी राहत शिविर बनाए गए हैं, जहाँ लोगों को
- भोजन
- स्वास्थ्य जांच
- आवश्यक दवाएं
उपलब्ध कराई जा रही हैं।
शासन ने 98 प्रभावित परिवारों को 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी है। लिम्चागाड में बहे पुल के स्थान पर बेली ब्रिज तैयार कर वाहनों का आना-जाना शुरू किया गया है। डबरानी से सोनगाड तक गैस सिलेंडरों की आपूर्ति अब खच्चरों के माध्यम से की जा रही है। हालांकि धराली-हर्षिल के निवासियों के लिए 30 किमी की यह पैदल दूरी अब भी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है।
आगे की चुनौतियाँ
- मौसम विभाग ने अगले दो दिनों के लिए भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है, जिससे बाढ़ और भूस्खलन का खतरा और बढ़ सकता है।
- लगातार वर्षा से हेलीकॉप्टर उड़ानों में बाधा और सड़क मरम्मत में देरी संभव है।
- राहत शिविरों में सीमित संसाधनों के कारण लंबे समय तक लोगों का ठहराव मुश्किल हो सकता है।