
मेरठ | रक्षाबंधन के पर्व के ठीक पहले जहां एक ओर सरकार मिठाई और खाद्य सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए विशेष जांच अभियान चला रही है, वहीं मेरठ से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां जांच के लिए गई खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम पर न केवल मिठाई के डिब्बे गाड़ी में रखवाने, बल्कि 5000 रुपये की रिश्वत लेने के गंभीर आरोप लगे हैं। यह पूरा घटनाक्रम दुकान के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया है और इसका वीडियो वायरल हो चुका है।
क्या है मामला
मंगलवार को खाद्य सुरक्षा विभाग की एक टीम मेरठ के बुढ़ाना गेट इलाके में मिठाई की दुकानों पर छापेमारी करने पहुंची थी। टीम हुकुमचंद पेठे वालों की दुकान पर भी पहुंची, जहां उन्होंने मिठाई के सैंपल लिए। लेकिन व्यापारियों का आरोप है कि सैंपल लेने के साथ-साथ टीम के अधिकारियों ने उन्हीं पेठों को अपनी गाड़ी में भी रखवाया और दुकान संचालक से 5000 रुपये की नकद राशि ली।
यह भी आरोप लगाया गया है कि जिन मिठाइयों के सैंपल जांच के लिए लिए गए, उन्हीं को अधिकारी मौके पर खाते हुए भी देखे गए। इस पूरे घटनाक्रम की 5 मिनट 12 सेकेंड की सीसीटीवी फुटेज अब सार्वजनिक हो चुकी है, जिससे विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं।
व्यापारियों में आक्रोश, अधिकारियों से की शिकायत
बुधवार को इस मामले को लेकर व्यापारी संगठनों ने जोरदार विरोध दर्ज कराया। हुकुमचंद पेठे के संचालक वीरेंद्र रस्तोगी, संयुक्त व्यापार संघ के मंत्री अंकुर गोयल, बुढ़ाना गेट व्यापार संघ के महामंत्री मयूर अग्रवाल, शाहघासा व्यापार संघ के अध्यक्ष अंबुज रस्तोगी और व्यापारी ईशान सिंघवाल के नेतृत्व में व्यापारियों का एक प्रतिनिधिमंडल खाद्य सुरक्षा विभाग के मेडिकल कॉलेज स्थित कार्यालय पहुंचा।
उन्होंने मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी रवि शर्मा से मुलाकात की और मामले की शिकायत की। लेकिन व्यापारियों का कहना है कि रवि शर्मा ने आरोपों को गंभीरता से नहीं लिया और इसे सहायक आयुक्त के स्तर का मामला बताकर टालने का प्रयास किया।
इस पर व्यापारियों में गुस्सा भड़क गया। संयुक्त व्यापार संघ मंत्री अंकुर गोयल ने तीखी प्रतिक्रिया में कहा, “क्या व्यापारी ऐसे ही विभागों के चक्कर काटते रहेंगे? विभाग अगर दोषियों पर कार्रवाई नहीं करता, तो यह उत्पीड़न सहन नहीं किया जाएगा।”
उच्च अधिकारियों से भी की शिकायत
व्यापारियों ने मामले की शिकायत सहायक आयुक्त (खाद्य सुरक्षा) दीपक सिंह से भी की है, जिन्होंने उन्हें जांच कराने का आश्वासन दिया। दीपक सिंह ने कहा कि, “मामला संज्ञान में आया है। इसकी निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।”
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी रवि शर्मा ने भी स्वीकार किया कि व्यापारियों ने शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि, “आरोपों में कितनी सच्चाई है, यह जांच के बाद ही स्पष्ट होगा।”
क्या कहते हैं नियम और संभावित कार्रवाई
अगर जांच में यह सिद्ध होता है कि जांच दल ने सैंपल लेने के दौरान मिठाई के डिब्बे निजी इस्तेमाल के लिए रखवाए और रिश्वत ली, तो यह न केवल भ्रष्टाचार की श्रेणी में आएगा बल्कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम और सरकारी सेवा आचरण नियमों का भी घोर उल्लंघन होगा। ऐसी स्थिति में संबंधित अधिकारियों को निलंबन, पद से हटाना, या विभागीय कार्यवाही का सामना करना पड़ सकता है।
रक्षाबंधन जैसे त्योहार पर भरोसे को लगा झटका
रक्षाबंधन के अवसर पर जब उपभोक्ता मिठाई खरीदने के लिए बाजारों में उमड़ते हैं, तो मिलावट रोकने के लिए की गई ये जांचें बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। लेकिन अगर इन्हीं जांच अधिकारियों पर रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगें, तो लोगों के विश्वास को गहरा झटका लगता है।
क्या कहता है वायरल वीडियो
वायरल सीसीटीवी फुटेज में कथित तौर पर देखा जा सकता है कि अधिकारी मिठाई खाते हुए दिख रहे हैं और वही मिठाई के डिब्बे गाड़ी में रखवा रहे हैं। इसके साथ ही दुकान के अंदर एक अधिकारी को कुछ नोट लेते हुए भी कैमरे में कैद किया गया है। यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है और इससे खाद्य सुरक्षा विभाग की छवि को गहरी क्षति पहुंची है।