
देहरादून। उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव संपन्न होने के बाद अब जिला और क्षेत्र पंचायत स्तर पर नई राजनीतिक गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। राज्य निर्वाचन आयोग हाईकोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद सक्रिय हो गया है और जिला पंचायत अध्यक्ष एवं क्षेत्र पंचायत प्रमुखों के चुनाव को न्यूनतम समय में कराने की तैयारी में जुट गया है।
हाईकोर्ट का स्पष्ट निर्देश: देरी नहीं चलेगी
नैनीताल हाईकोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट आदेश जारी करते हुए कहा है कि जिला पंचायत अध्यक्ष और क्षेत्र पंचायत प्रमुखों के चुनाव आरक्षण प्रक्रिया अंतिम होने के तुरंत बाद कराए जाएं। कोर्ट का यह आदेश समयबद्ध लोकतांत्रिक प्रक्रिया को सुनिश्चित करने और अनावश्यक देरी को रोकने के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि जैसे ही शासन स्तर से जिला पंचायत अध्यक्ष पद के आरक्षण की अंतिम सूची जारी होगी, आयोग त्वरित गति से चुनाव कार्यक्रम घोषित करेगा और पूरी प्रक्रिया को न्यूनतम समय में संपन्न कराएगा।
30 हजार से अधिक पंचायत पद रिक्त, वहां भी होंगे चुनाव
एक ओर जहां आयोग जिला व क्षेत्र पंचायत प्रमुखों के चुनाव की तैयारी कर रहा है, वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत स्तर पर भी एक गंभीर स्थिति उभरकर सामने आई है। हाल ही में संपन्न त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के बावजूद प्रधान एवं ग्राम पंचायत सदस्य के 30,000 से अधिक पद रिक्त रह गए हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलों से रिक्त पदों की सूची तलब की है और इन स्थानों पर पुनर्मतदान की योजना बनाई जा रही है। आयोग इन पदों को भरने के लिए अलग से कार्यक्रम घोषित करेगा, ताकि पंचायत व्यवस्था में खाली पदों के कारण प्रशासनिक असंतुलन उत्पन्न न हो।
शासन-प्रशासन के बीच समन्वय आवश्यक
चुनाव प्रक्रिया की सफलता के लिए आयोग और शासन के बीच समन्वय अत्यंत आवश्यक है। आरक्षण सूची के विलंबित होने से चुनावों में देरी हो सकती है, जो कि कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना होगी। इसलिए आयोग ने स्पष्ट किया है कि शासन को जल्द से जल्द आरक्षण की प्रक्रिया पूर्ण करनी होगी, ताकि चुनाव शांति और समयबद्ध ढंग से संपन्न कराए जा सकें।