
देहरादून: प्रदेश में गंगा सहित अन्य नदियों पर राफ्टिंग कराने वाले गाइडों की सुरक्षा और दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। अब राफ्टिंग गाइडों को अनिवार्य रूप से तीन दिन का प्राथमिक चिकित्सा प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें फर्स्ट एड और सीपीआर से संबंधित तकनीकी जानकारी शामिल होगी, ताकि किसी भी दुर्घटना या आपात स्थिति में गाइड तत्काल घायल पर्यटकों को प्राथमिक उपचार दे सकें।
इस संबंध में सचिवालय में सचिव पर्यटन धीराज गर्ब्याल की अध्यक्षता में राफ्टिंग एसोसिएशन के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में राज्य में राफ्टिंग की मौजूदा स्थिति, संभावनाओं और सुरक्षा मानकों पर विस्तृत चर्चा हुई। इसी दौरान राफ्टिंग एसोसिएशन के प्रस्ताव पर राफ्टिंग गाइडों की अधिकतम आयु सीमा को 50 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष करने पर सहमति जताई गई।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि प्रदेशभर में कार्यरत लगभग 900 राफ्टिंग गाइडों को चरणबद्ध तरीके से फर्स्ट एड और सीपीआर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण के लिए अमेरिका की हैनीफिल सेंटर संस्था के माध्यम से तकनीकी दक्षता विकसित की जाएगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत जनवरी 2026 के प्रथम सप्ताह से किए जाने की योजना है।
पर्यटन सचिव धीराज गर्ब्याल ने बैठक के दौरान राफ्टिंग एसोसिएशन की अन्य मांगों और सुझावों पर भी विचार किया। एसोसिएशन की ओर से नदी तटों पर राफ्टिंग कैंपों की स्थापना, गंगा नदी की वहन क्षमता का पुनः आकलन, मुख्य मार्ग से राफ्टिंग पिकअप प्वाइंट तक पहुंच को बेहतर बनाने और राफ्टिंग पर्यटकों की सुरक्षा के लिए एंबुलेंस की समुचित व्यवस्था करने का मुद्दा उठाया गया।
पर्यटन सचिव ने आश्वासन दिया कि राफ्टिंग से जुड़ी सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने के लिए इन सभी विषयों पर शीघ्र समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राफ्टिंग उत्तराखंड के प्रमुख साहसिक पर्यटन गतिविधियों में शामिल है और इसमें सुरक्षा मानकों से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा। सरकार के इस निर्णय से राफ्टिंग गाइडों की पेशेवर क्षमता बढ़ने के साथ-साथ पर्यटकों की सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी, जिससे राज्य में साहसिक पर्यटन को नई गति मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।




