
ज्योतिर्मठ (चमोली)| उत्तराखंड में चीन सीमा को जोड़ने वाला मलारी हाईवे भारी भूस्खलन के चलते पिछले 24 घंटे से भी अधिक समय से बंद पड़ा है। इस आपदा का सबसे बड़ा असर त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर पड़ा है, क्योंकि रास्ता बंद होने से पोलिंग पार्टियां, चुनाव प्रचारक, और स्थानीय नागरिक सभी फंसे हुए हैं। वहीं, चुनाव प्रचार का आखिरी दिन होने के कारण प्रत्याशियों को भी घाटी में पहुंचने में गंभीर दिक्कतें आ रही हैं।
📌 हाईवे बंद, भारत-चीन सीमा से संपर्क टूटा
मलारी हाईवे सोमवार दोपहर करीब 3:30 बजे भापकुंड के समीप भारी भूस्खलन के चलते बंद हो गया था। चट्टानों और मलबे की विशाल मात्रा सड़क पर आ जाने से सीमा क्षेत्र के साथ संपर्क पूरी तरह से टूट गया है। एसडीएम सहित प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे हुए हैं, लेकिन सड़क को खोलने में अभी और वक्त लग सकता है। देर शाम तक मार्ग बहाल होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं, परंतु मौसम और मलबे की स्थिति इसे और मुश्किल बना सकती है।
📌 फंसी पोलिंग पार्टियां, चुनाव प्रचारक भी घाटी में अटके
ज्योतिर्मठ से नीती घाटी की ओर रवाना हुई पोलिंग पार्टियां, जो चुनाव सामग्री और सुरक्षाबल के साथ भेजी गई थीं, वे भूस्खलन के कारण बीच रास्ते में ही फंसी हुई हैं। चुनाव प्रचार के अंतिम दिन कई प्रत्याशी भी नीती घाटी नहीं पहुंच सके। जो प्रचारक पहले ही वहां पहुंच चुके थे, वे भी अब बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
🧭 सीमांत क्षेत्र की समस्याएं फिर उजागर
यह संकट एक बार फिर सीमांत क्षेत्रों की भौगोलिक चुनौतियों और बुनियादी ढांचे की कमियों को उजागर करता है। हर साल बरसात के मौसम में मलारी हाईवे पर इस तरह की भूस्खलन की घटनाएं होती हैं, जिससे न केवल आम जनजीवन, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था और लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं भी प्रभावित होती हैं।
स्थानीय निवासी पुष्कर सिंह राणा ने बताया कि वे भी नीती घाटी जाना चाहते थे, लेकिन हाईवे बंद होने के चलते घर पर ही रुक गए। उनका कहना है कि यह कोई नई बात नहीं है — हर साल यही होता है, पर कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया है।
📸 तस्वीरें और दृश्य
मलारी हाईवे पर बिखरे बोल्डर और मलबे की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं, जिसमें साफ दिख रहा है कि सड़क पूरी तरह से अवरुद्ध है। इस मार्ग के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं।
🔍 प्रशासन की तैयारी और चुनौतियां
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) की टीमों को अलर्ट पर रखा गया है। मलबा हटाने के लिए मशीनरी तैनात कर दी गई है, लेकिन भारी भरकम चट्टानों को हटाने में समय लग सकता है। अधिकारियों ने आशंका जताई है कि अगर मौसम ने साथ नहीं दिया तो बहाली में देर हो सकती है।
⚠️ खतरे की घंटी: सीमाओं पर संवेदनशीलता
इस आपदा ने सीमा सुरक्षा और चुनाव प्रक्रिया दोनों के लिहाज से गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस मार्ग से भारतीय सेना की आवाजाही और रसद भी जुड़ी हुई है, उसका बार-बार अवरुद्ध होना राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी चिंताजनक है। मलारी हाईवे का बंद होना सिर्फ एक क्षेत्रीय समस्या नहीं है, बल्कि यह सीमा सुरक्षा, लोकतांत्रिक प्रक्रिया और प्रशासनिक संवेदनशीलता से जुड़ा एक बड़ा मुद्दा है। यह ज़रूरी हो गया है कि सरकार इस क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक समाधान तलाशे, ताकि हर साल आने वाली आपदाएं न केवल चुनाव, बल्कि आम जीवन को भी बाधित न करें।