
देहरादून। उत्तराखंड के मसूरी में ट्रैफिक जाम के चलते एक बुजुर्ग पर्यटक की मौत के मामले को राज्य मानवाधिकार आयोग ने गंभीरता से लिया है। आयोग ने इसे मानवाधिकार उल्लंघन का मामला मानते हुए प्रमुख सचिव गृह और पुलिस महानिदेशक को दो सितंबर तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।
मसूरी यात्रा के दौरान जाम बना मौत की वजह
यह मामला 7 जून को सामने आया था, जब 62 वर्षीय कमल किशोर, दिल्ली से मसूरी घूमने आए थे। अचानक तबीयत बिगड़ने पर परिजनों ने एंबुलेंस बुलवाई, लेकिन देहरादून से मसूरी तक के भारी ट्रैफिक जाम के कारण एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंच सकी। परिजनों ने वैकल्पिक वाहन का इंतजाम किया, लेकिन वह भी करीब 45 मिनट तक जाम में फंसा रहा। समय पर इलाज न मिलने से कमल किशोर की मौत हो गई।
अधिवक्ता की शिकायत पर लिया संज्ञान
अधिवक्ता मो. आशिक ने मानवाधिकार आयोग को शिकायत पत्र भेजा था, जिसमें इस घटना को समाचार पत्रों के हवाले से उठाते हुए सवाल किया गया कि मसूरी जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल पर आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं और यातायात प्रबंधन अब भी इतने लचर क्यों हैं। अधिवक्ता ने चेताया कि यदि समय रहते इस समस्या का हल नहीं निकाला गया तो भविष्य में और पर्यटक इसी तरह जाम में जान गंवा सकते हैं।
वर्षों से जूझ रहा उत्तराखंड ट्रैफिक की समस्या से
आयोग के सदस्य गिरधर सिंह धर्मशक्तू ने आदेश पत्र में टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य में ट्रैफिक जाम की समस्या वर्षों से बनी हुई है और अब यह विकराल रूप ले चुकी है। इसका सीधा असर पर्यटकों, तीर्थ यात्रियों और आम नागरिकों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह मामला मानवाधिकारों के उल्लंघन की श्रेणी में आता है और इस पर सरकार को शीघ्र और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
प्रशासन पर उठे सवाल
इस घटना ने न केवल स्थानीय प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी उजागर किया है कि आपातकालीन हालात में राज्य की व्यवस्थाएं पर्यटकों की जान बचाने में असमर्थ हैं। ऐसे में मसूरी जैसे संवेदनशील और भीड़भाड़ वाले पर्यटन क्षेत्रों में विशेष ट्रैफिक प्लान, आपातकालीन मेडिकल रिस्पांस सिस्टम और रूट क्लियरेंस मैकेनिज्म को प्राथमिकता देने की मांग उठ रही है।
क्या है आगे की राह?
मानवाधिकार आयोग की सख्ती के बाद अब राज्य सरकार और पुलिस विभाग पर दबाव बढ़ गया है कि वे जल्द से जल्द इस मामले में रिपोर्ट सौंपें और भविष्य के लिए कोई कारगर योजना प्रस्तुत करें। मसूरी समेत उत्तराखंड के अन्य पर्यटन स्थलों पर यदि ट्रैफिक प्रबंधन में सुधार नहीं हुआ, तो यह केवल पर्यटकों की संख्या को प्रभावित करेगा ही नहीं, बल्कि राज्य की छवि और सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवालिया निशान छोड़ देगा। यह मामला न केवल एक पर्यटक की मौत की त्रासदी है, बल्कि यह एक बड़ी प्रशासनिक चूक का उदाहरण भी बन गया है, जिससे सबक लेना और तत्काल सुधार आवश्यक है।