
गुरुग्राम। दिल्ली से सटे गुरुग्राम के सुशांत लोक फेज-2 से एक हृदयविदारक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने खेल जगत से लेकर पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। हरियाणा की स्टेट लेवल टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की उनके ही पिता दीपक यादव ने गोली मारकर हत्या कर दी। महज 25 वर्ष की उम्र में देश की एक होनहार बेटी की जान, सामाजिक तानों और मानसिक तनाव की बलि चढ़ गई।
घटना गुरुवार सुबह करीब 10:30 बजे की है, जब राधिका अपने घर की रसोई में थी। उसी समय उनके पिता ने पीछे से अपनी लाइसेंसी रिवॉल्वर से तीन गोलियां दाग दीं। खून से लथपथ राधिका को परिजन तुरंत अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
सामाजिक ताने और मान-सम्मान का बोझ बना हत्या की वजह
पुलिस पूछताछ में आरोपी पिता दीपक यादव ने जो कारण बताए, वह समाज की रूढ़िवादी मानसिकता को उजागर करते हैं। दीपक ने बताया कि राधिका की हाल ही में शुरू हुई टेनिस अकादमी की सफलता को लेकर गांव में लोग ताने कसते थे कि वह बेटी की कमाई पर जी रहा है। कुछ लोग राधिका के चरित्र पर भी टिप्पणी करते थे, जिससे वह मानसिक रूप से टूट गया था।
दीपक ने राधिका से अकादमी बंद करने की मांग की, लेकिन जब उसने इनकार किया तो उसने यह भयावह कदम उठा लिया। पुलिस ने दीपक को गिरफ्तार कर उसकी रिवॉल्वर जब्त कर ली है, जिसमें पांच गोलियों के खाली खोल और एक जिंदा कारतूस बरामद हुआ है।
राधिका की उपलब्धियां और अधूरी रह गई उड़ान
23 मार्च 2000 को जन्मी राधिका यादव ने स्टेट लेवल टेनिस टूर्नामेंट्स में कई बार जीत हासिल की थी और अंतरराष्ट्रीय टेनिस महासंघ (ITF) की डबल्स रैंकिंग में 113वें स्थान तक पहुंच चुकी थीं। कंधे की चोट के बाद उन्होंने खेल छोड़ने का कठिन फैसला लिया और अपने जुनून को जारी रखने के लिए एक टेनिस अकादमी की शुरुआत की। वह कई युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बन चुकी थीं।
परिवार का बिखराव और चुप्पी
राधिका के चाचा कुलदीप यादव ने सेक्टर 56 थाने में हत्या की एफआईआर दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि गोली की आवाज सुनकर वह ऊपर पहुंचे तो राधिका खून में लथपथ मिली और पास ही रिवॉल्वर पड़ी थी। वहीं, आरोपी की पत्नी मंजू देवी ने बयान देने से मना कर दिया और कहा कि वह बीमार थीं और घटना से अनजान रहीं।
समाज पर सवाल खड़े करती यह वारदात
इस जघन्य हत्या ने समाज की उस सड़ांध को उजागर किया है, जहां बेटियों की तरक्की को सम्मान नहीं बल्कि अपमान माना जाता है। राधिका की मौत सिर्फ एक पारिवारिक त्रासदी नहीं, बल्कि एक सामाजिक विफलता है—जहां एक पिता बेटी की सफलता को बर्दाश्त नहीं कर पाया और रूढ़ियों के दबाव में उसकी जान ले ली।
पुलिस का कहना है कि मामले की गहन जांच की जा रही है और हर पहलू की पड़ताल की जाएगी। राधिका का पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है और रिपोर्ट का इंतजार है। राधिका अब नहीं रही, लेकिन उसके सवाल समाज से ज़िंदा हैं: क्या एक बेटी की मेहनत, सफलता और आत्मनिर्भरता एक पिता के लिए बोझ बन सकती है? इस घटना ने फिर एक बार चेताया है कि सामाजिक तानों और पितृसत्तात्मक सोच के खिलाफ अब सिर्फ बात नहीं, बदलाव ज़रूरी है।