बहनोई से अवैध संबंधों के शक में पति राजकुमार ने ही अपने दोस्त रामबहादुर संग मिलकर पत्नी हेमलता को मौत के घाट उतारा था। हत्याकांड के बाद रामबहादुर ने दोस्त को बचाने के लिए हेमलता का सामान गायब करने के साथ अन्य साक्ष्य मिटाए और लूट के बाद हत्या की कहानी गढ़ दी। राजफाश के बाद पुलिस ने मुकदमे में साक्ष्य मिटाने की धारा 201, षडयंत्र रचने की धारा 120 बी व आर्म्स एक्ट की धारा 3/25 बढ़ा दी। लूट की धारा हटा दी गई। दोनों आरोपितों को जेल भेज दिया गया।
14 मई को शाही के बकैनिया वीरपुर गांव निवासी हेमलता की दुनका चौकी के पास दो गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। दंपती से लूटपाट के बाद हत्या से खलबली मच गई। ग्रामीणों से जाम लगा दिया जिसमें शाही थाना प्रभारी सतीश कुमार नैन व चौकी इंचार्ज जगदीश चंद्र जोशी की लापरवाही उजागर हुई। दोनों को एसएसपी ने निलंबित कर दिया। घटनास्थल व राजकुमार की कहानी में झोल के चलते पहले दिन से ही शक के घेरे में आया। सख्ती पर उसने पूरी कहानी स्वीकार कर ली। शाही पुलिस के अनुसार, आरोपित राजकुमार ने बताया कि मई 2023 में हेमलता से शादी हुई थी।
कुछ दिनों तक दोनों के संबंध अच्छे रहे लेकिन इस बीच पत्नी को अक्सर मोबाइल पर बात करते देखता। वह रील बनाने की भी शौकीन थी, जो पति को पसंद नहीं था। इसको लेकर कई बार झगड़ा भी हुआ। कुछ महीने पहले मैंने उसको बहनोई से बात करते हुए पकड लिया था। उस पर भी विवाद हुआ। हेमलता ने वादा किया कि वो अब बात नहीं करेगी। किंतु जब घर से बाहर रहता। तब वह चोरी चुपके बात कर लेती थी। मार्च में उसको फिर बात करते पकड़ा।
तब गुस्से में आकर अपना मोबाइल तोड दिया। उसके मोबाइल में अपना सिम लगाकर प्रयोग करने लगा। विवाद के कारण कई बार महीनों तक पत्नी मायके रही। पुलिस के अनुसार, आरोपित राजकुमार ने बताया कि डेढ माह पहले पत्नी के गर्भवती होने की जानकारी हुई। तभी उस पर शक और गहरा हो गया। शायद उसके पेट में मेरा बच्चा नहीं है। इसी के बाद तनाव में रहने लगा। इस बात का जिक्र जिगरी दोस्त रामबहादुर से किया। फिर सतर्क रहने लगा और पत्नी पर पाबंदी व निगरानी रखने लगा। घटना से 10-12 दिन पहले पत्नी से विवाद व मारपीट हुई। पत्नी के पास मोबाइल ना होने के बाद भी यह बात उसके मायके पहुंचे गई। इस पर हेमलता की मां ने उलाहना दिया। तभी से अंदर से ही अंदर घुटने लगा और हेमलता को रास्ते से हटाने के लिए योजना बनाई।
हत्याकांड को अंजाम देने के लिए आरोपित ने मिर्च बेचकर तमंचा व कारतूस खरीदा। पत्नी को शक ना हो, इसलिए उस पर प्यार जताने लगा। हर मांग पूरी करने लगा। घटना से एक दिन पहले पत्नी को उसकी इच्छा पर मायके व उसकी मौसी के यहां घुमाने ले गया। खरीदारी कराई। फिर तय योजना अनुसार 14 मई की शाम ऐसे समय घर के लिए चला कि कुछ अंधेरा हो जाए।
दुनका से अपने गांव के लिए मुड़ने के बजाय वह बायीं तरफ कच्चे रास्ते पर चल दिया। पत्नी ने सवाल किया तब कहा कि मिर्च के खेतों में घूमने चलेंगे। इसी के बाद कच्चे रास्ते पर ही मोटरसाइकिल खाली खेत में खड़ी की। इसके तुरंत बाद ही पेट में पल रहे बच्चे को लेकर विवाद शुरू कर दिया। हेमलता कुछ समझ पाती कि इतने में मोटरसाइकिल की डिग्गी से राजकुमार ने तमंचा निकाला और सीने में गोली मार दी। उसके गिरने के बाद दूसरी गोली गर्दन से सटाकर मारी। फिर दोस्त रामबहादुर को बुलाया। उससे कहा कि किसी तरह मुझे बचाओ।
तब रामबहादुर ने लात मारकर मोटरसाइकिल गिरा दी। पत्नी के दोनों पांव की पायल व कमर में पहनी तगडी को निकाल लिया। राजकुमार के एक पैर का जूता उठाकर दूसरी तरफ फेंक दिया। हेमलता का पर्स भी मौके पर ही छोड़ दिया जिससे पुलिस लूट के चलते हत्या का शक करे। इतना ही नहीं तमंचा व खोखा दूर जाकर मेड़ में लगे लिपटिस के पेड के नीचे छिपा दिया। इसके बाद गांव में फोन कर लूट के बाद हत्या की सूचना दी। बेहोशी का नाटक व चोट बताकर अस्पताल में भर्ती होने की जिद आरोपित राजकुमार को महंगी पड़ी ।
घटना के बाद रामबहादुर व ग्राम प्रधान उसे लेकर धनेटा स्थित मंगलम अस्पताल ले गये, वहां चोट ना होने के कारण डाक्टर ने वापस कर दिया। फिर उसने बेहोशी का बहाना बनाया। चौकी चौराहे के पास एक अस्पताल पहुंचा, यहां भी कोई चोट न होने के कारण डाक्टर ने वापस कर दिया गया। पत्नी को गोली लगने के बाद भी राजकुमार को कोई खरोंच ना आने से ससुरालियों को भी उस पर शक गहराया और हत्याकांड का राजफाश हो गया। दोस्त रामबहादुर पकड़ने जाने पर माफी मांगता रहा। कहा कि दोस्ती निभाने में फंस गया। माफ कर दो।