
देहरादून। गुरुकुल नारसन स्थित उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPCL) के बिजलीघर में वासू स्टील फैक्ट्री के मीटर से छेड़छाड़ कर बड़े पैमाने पर बिजली चोरी का मामला सामने आया है। पुलिस ने फैक्ट्री के कुछ कर्मचारियों को हिरासत में लेकर मुकदमा दर्ज किया है। इन कर्मचारियों ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया कि फैक्ट्री के मीटर में छेड़छाड़ की गई थी। लेकिन इस पूरे प्रकरण में फैक्ट्री मालिक का नाम सामने नहीं आने से कई तरह के सवाल उठने लगे हैं।
मालिक को बचाने के आरोप
इस मामले में सिर्फ कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई है, जबकि फैक्ट्री के मालिक को नामजद न किए जाने पर संदेह गहराता जा रहा है। बड़ा सवाल यह है कि क्या फैक्ट्री कर्मचारी अपने स्तर पर इतनी बड़ी बिजली चोरी कर सकते थे? या फिर मालिक की जानकारी और संलिप्तता के बिना यह संभव ही नहीं था? स्थानीय स्तर पर यूपीसीएल और पुलिस पर भी आरोप लग रहे हैं कि करोड़ों का चूना लगाने वाली फैक्ट्री के मालिक को बचाया जा रहा है।
डबल मीटरिंग सिस्टम भी फेल
बड़ी फैक्ट्रियों में आमतौर पर दो मीटर लगाए जाते हैं—एक फैक्ट्री परिसर के भीतर और दूसरा संबंधित बिजलीघर में। इसका मकसद यह होता है कि किसी भी स्तर पर बिजली चोरी या गड़बड़ी न हो सके। लेकिन इस प्रकरण ने डबल मीटरिंग सिस्टम की पोल खोल दी है, क्योंकि छेड़छाड़ दोनों स्तरों पर हुई है। इससे साफ है कि गड़बड़ी संगठित और सुनियोजित तरीके से की गई होगी।
यूपीसीएल के लिए बड़ी चुनौती
रुड़की और भगवानपुर क्षेत्र में बड़ी संख्या में स्टील फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं। ऐसे में इस पूरे प्रकरण की गहन जांच यूपीसीएल के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगी। बिजली चोरी को लेकर नियामक आयोग भी कई बार चिंता जता चुका है। आयोग ने हाल ही में यूपीसीएल की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए साफ कहा था कि हाई लॉस फीडरों पर नियंत्रण जरूरी है।
किन-किन शहरों में सबसे ज्यादा बिजली चोरी
प्रदेश के आठ शहर बिजली चोरी के मामलों में सबसे बदनाम बताए जा रहे हैं। इनमें मंगलौर, लंढौरा, लक्सर, गदरपुर, जसपुर, जोशीमठ, खटीमा और सितारगंज प्रमुख हैं।
- गदरपुर: 30.58%
- जसपुर: 27%
- जोशीमठ: 53.92%
- खटीमा: 53%
- लक्सर: 27%
- लंढौरा: 69.40%
- मंगलौर: 47.62%
- सितारगंज: 27.25%
इन इलाकों में समग्र तकनीकी और वाणिज्यिक हानियां (AT&C Loss) बेहद ज्यादा हैं।
करोड़ों का नुकसान
सिर्फ रुड़की डिवीजन की ही बात करें तो 2021-22 में 31.21%, 2022-23 में 31.09% और 2023-24 में 31.50% वितरण हानियां दर्ज की गईं। नियामक आयोग ने माना कि ये हाई लॉस फीडर यूपीसीएल के लिए घुन की तरह काम कर रहे हैं और हर साल निगम को करोड़ों का नुकसान हो रहा है।
एनर्जी अकाउंटिंग ऑडिट का आदेश
बिजली चोरी और गड़बड़ी की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार ने आदेश दिया है कि रुड़की, भगवानपुर समेत पूरे क्षेत्र की सभी स्टील फैक्ट्रियों और उच्च बिजली खपत वाले उद्योगों का एनर्जी अकाउंटिंग ऑडिट कराया जाएगा। इससे यह स्पष्ट होगा कि बिजली कहां और किस स्तर पर खपत हो रही है। अगर किसी स्तर पर गड़बड़ी सामने आती है तो उसी अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।