
देहरादून – उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार ने हाल ही में चार साल का कार्यकाल पूरा कर एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मील का पत्थर पार कर लिया है। इस उपलब्धि के साथ ही मुख्यमंत्री धामी राज्य में भाजपा के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्यमंत्री बन गए हैं। लेकिन एक और रिकॉर्ड अब भी उनकी निगाह में है – राज्य में पहली बार किसी भाजपा मुख्यमंत्री का पाँच साल का कार्यकाल पूरा करना, जो अब तक केवल कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी के नाम रहा है।
12 मुख्यमंत्री, केवल एक ने पूरे किए पाँच साल
उत्तराखंड, जो वर्ष 2000 में अलग राज्य बना था, अब तक 25 वर्षों में 12 मुख्यमंत्रियों को देख चुका है। इनमें से केवल नारायण दत्त तिवारी (कांग्रेस) ही ऐसे नेता रहे जिन्होंने पूरे पाँच वर्ष का कार्यकाल सफलता पूर्वक पूरा किया। भाजपा के कई नेता — जैसे त्रिवेंद्र सिंह रावत, भुवन चंद्र खंडूड़ी और रमेश पोखरियाल निशंक — इस मुकाम तक नहीं पहुँच पाए। ऐसे में धामी की यह चार साल की यात्रा अपने-आप में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
चुनावी हार के बावजूद कायम रहा भरोसा
2022 में विधानसभा चुनाव के दौरान पुष्कर सिंह धामी स्वयं चुनाव हार गए थे, लेकिन इसके बावजूद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उन पर भरोसा कायम रखा और उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाया गया। यह निर्णय भाजपा के संगठनात्मक संकेत भी देता है — कि पार्टी अब उत्तराखंड में स्थिर नेतृत्व के साथ दीर्घकालिक रणनीति पर काम कर रही है।
राजनीतिक मिथकों को तोड़ने की कोशिश
उत्तराखंड की राजनीति में लंबे समय से एक धारणा रही है कि राज्य में हर पाँच साल पर सत्ता परिवर्तन होता है। लेकिन 2022 में भाजपा ने यह मिथक तोड़ा और लगातार दूसरी बार सरकार बनाई। अब पार्टी की कोशिश यह धारणा भी बदलने की है कि केवल कांग्रेस की ही सरकार ने पाँच साल का कार्यकाल पूरा किया है।
धामी का नेतृत्व: पार्टी संतुलन और स्थिरता का प्रतीक
चार वर्षों में पुष्कर सिंह धामी न केवल प्रशासनिक मोर्चे पर बल्कि संगठनात्मक दृष्टि से भी भाजपा के लिए संतुलन का केंद्र बनकर उभरे हैं। मुख्यमंत्री और प्रदेश नेतृत्व के बीच समन्वय पहले की तुलना में बेहतर दिखा है। संगठन और सरकार के बीच पहले जैसी खींचतान अब दिखाई नहीं देती। पार्टी ने अपने आंतरिक संदेशों में यह स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री धामी पर विश्वास बरकरार है। इसका संकेत भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में सांसद महेंद्र भट्ट की वापसी से भी मिलता है। यह बदलाव केवल नेतृत्व में नहीं, बल्कि पार्टी के भीतर स्पष्टता और अनुशासन की पुनर्स्थापना का प्रतीक भी माना जा रहा है।
2027 की रणनीति: तैयारी अभी से
मुख्यमंत्री धामी और भाजपा का प्रदेश नेतृत्व अब 2027 के चुनावों की योजना बनाना शुरू कर चुका है। अब तक के शासनकाल के प्रदर्शन, योजनाओं की गति, और विपक्ष की अपेक्षाकृत नरम रुख को देखते हुए धामी सरकार को पांच साल का कार्यकाल पूरा करना कठिन नहीं लगता। खास बात यह भी है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकारों की अस्थिरता का कारण विपक्ष नहीं, बल्कि आंतरिक असंतोष था — जो इस कार्यकाल में बहुत हद तक नियंत्रित रहा है।