
देहरादून, 18 जून 2025 — केदारनाथ आपदा को 12 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन आपदा में मारे गए 702 लोगों की पहचान अब भी नहीं हो सकी है। पुलिस के पास इन मृतकों के डीएनए नमूने मौजूद हैं, परंतु इनका किसी परिजन से मिलान नहीं हो पाया है।
आपदा के बाद पुलिस ने केदारघाटी और आसपास के क्षेत्रों से 735 शवों, कंकालों और शवों के हिस्सों के डीएनए नमूने लिए थे, जिन्हें जांच के लिए बेंगलुरु स्थित लैब भेजा गया। इस दौरान करीब 6000 से अधिक लापता लोगों के परिजनों ने भी अपने डीएनए नमूने दिए थे, पर अब तक केवल 33 शवों की पहचान संभव हो सकी है।
केदारनाथ आपदा 15 और 16 जून 2013 को आई थी, जिसमें सरकारी आंकड़ों के अनुसार 4400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हुए थे। राहत-बचाव कार्यों में पुलिस, सेना और अर्द्धसैनिक बलों ने 1 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला, जबकि वर्षों तक सर्च ऑपरेशन चलाकर शवों और कंकालों को खोजा गया।
भयानक त्रासदी एक नजर में:
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आपदा की तिथि: 15-16 जून 2013
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कुल मृतक/लापता (सरकारी आंकड़ों में): 4400
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स्थानीय मृतक: 991
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बरामद नरकंकाल: 55
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मवेशी मृतक: 11,000+
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पुलिस द्वारा बचाए गए लोग: 30,000+
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सेना और अर्द्धसैनिक बलों द्वारा बचाए गए लोग: 90,000+
एडीजी अमित सिन्हा, निदेशक, विधि विज्ञान प्रयोगशाला के अनुसार सभी डीएनए सैंपलों को जांच के लिए बेंगलुरु लैब भेजा गया था। 702 सैंपल अब भी बिना पहचान के हैं और अपनों का इंतजार कर रहे हैं।
यह त्रासदी न केवल मानव क्षति की दृष्टि से भयावह रही, बल्कि पहचान की इस अनिश्चितता ने हजारों परिवारों को वर्षों से पीड़ा में रखा है।