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पंतनगर। शरीर में प्रोटीन की कमी को दूर करने के लिए केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीडब्ल्यूआरआई) बरेली के वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार के पक्षियों के मांस व अंडों से बिस्किट, पेड़ा और रसमलाई बनाने की तकनीक ईजाद की है। संस्थान की ओर से जीबी पंत कृषि और प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में आयोजित 17वीं कृषि विज्ञान कांग्रेस में इस तकनीक को प्रदर्शित किया गया है।
सीडब्ल्यूआरआई के स्टॉल पर मौजूद डॉ. एमपी सागर ने बताया कि उनके संस्थान की ओर से सम्मेलन की प्रदर्शनी में पोल्ट्री से संबंधित हर चीज लगाई है। इसमें तकनीक के माध्यम से पोल्ट्री संबंधित बटेर, चिकन, टर्की और गिनी फाउल आदि के मांस व उनके अंडों से बिस्किट, पेड़ा और रसमलाई जैसे उत्पादों को बनाकर प्रदर्शित किया गया है। बताया कि टर्की अधिकतर मांस के लिए पाली जाती है। यूरोपीय देशों के बाद अब भारत में भी लोग इसे मांस के लिए पालने लगे हैं। टर्की का मांस सफेद होता है। इसमें फाइबर की अधिकता, जबकि फैट की मात्रा नहीं के बराबर पाई जाती है। इसका मांस हृदय रोगियों के लिए बेहद मुफीद होता है। इसी प्रकार कोयल का अंडा और मांस बहुत महंगा बिकता है। इन सभी पक्षियों के अंडों में मल्टीग्रेन (18 प्रतिशत) मिलाकर हाई प्रोटीन बिस्किट बनाए गए हैं।
किसी भी बच्चे में प्रोटीन की पूर्ति के लिए मात्र दो बिस्किट ही पर्याप्त हैं। इसी प्रकार केंद्र की ओर से तकनीक विकसित कर देश में पहली बार वैल्यू एडीशन कर निष्प्रयोज्य पक्षी के मांस और अंडों से बड़ी व कबाब आदि बनाए गए हैं। यह 800-900 रुपये प्रति किलो की दर से मिल जाते हैं। इसी प्रकार इससे रसमलाई, पेड़े, रबड़ी, अचार व फिंगर चिप्स भी तैयार किए गए हैं। इसमें भरपूर प्रोटीन के साथ ही सभी प्रकार के पोषक तत्व मिल जाते हैं।
डॉ. सागर ने बताया कि उनके संस्थान की ओर से पक्षियों के मांस और अंडों से इस तरह के उत्पाद बनाने की तकनीक बिकाऊ है। जिस किसी को अपने उद्यम के लिए इस तकनीक की आवश्यकता हो, वह उनके संस्थान से संपर्क कर सकता है। शर्त यह है कि उसे अपने उत्पाद पर उनके संस्थान का नाम प्रिंट करना होगा।