देहरादून। राजधानी की आबोहवा दूनवासियों के लिए खतरा बन गई है। औद्योगिक प्रदूषण की तुलना में देहरादून की हवा में 28 गुना अधिक जहरीले प्रदूषित कण पाए गए हैं। बीएचयूआई-आईटी की रिपोर्ट के अनुसार यह जहरीले अदृश्य कण सांस के जरिये फेफड़ों में प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दून के प्रत्येक व्यक्ति के फेफड़ों में प्रतिदिन 28 ग्राम हवा के बड़े व 12 ग्राम सूक्ष्म जहरीले कण पहुंचकर खतरा बन रहे हैं। राजधानी में सर्वाधिक वायु प्रदूषण रोड डस्ट, फॉरेस्ट फायर, वाहनों से धुएं व निर्माण कार्याें से उठने वाली गर्द के कारण पाया गया है।राजधानी देहरादून में बढ़ता वायु प्रदूषण पिछले कुछ सालों में चिंता का विषय है।
इसी के चलते नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में देहरादून का चयन किया गया है। प्रोग्राम के तहत दून में वायु प्रदूषण का आंकलन करने के लिए आईआईटी-बीएचयू की टीम ने पिछले दिनों आईएसबीटी, आईटी पार्क, घंटाघर, जोगीवाला चौक, रायपुर रोड समेत दून के विभिन्न हिस्सों में सर्वे किया। इसमें चिंताजनक आंकड़े निकलकर सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार औद्योगिक इकाइयों से प्रतिदिन निकलने वाले पीएम-10 (पार्टिकुलेट मैटर या वायु में मौजूद प्रदूषित बड़े जहरीले कण) की तुलना में यहां सड़क से उठने वाली धूल 16 गुना अधिक जहरीले कण उगल रही है। राजधानी में सर्वाधिक वायु प्रदूषण ही सड़क की धूल के कारण हो रहा है। वहीं जंगलों की आग, वाहनों का प्रदूषण व निर्माण कार्यों की गर्द भी वायु को बेतहाशा जहरीला बना रही है।
दून के लिए पीएम 2.5 (वायु में मौजूद प्रदूषित अतिसूक्ष्म जहरीले कण) सबसे बड़ी चिंता बनकर उभरा है। पिछले एक महीने में दून में वायु प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह पीएम 2.5 ही रहा। यह अतिसूक्ष्म प्रदूषित जहरीले कण हैं, जो सांस के जरिये रक्त या फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं। रिपोर्ट के अनुसार जंगलों में लगने वाली आग या कूड़ा समेत अन्य अपशिष्ट को जलाने से करीब छह गुना अधिक पीएम 2.5 वायुमंडल में पहुंच रहा है, जबकि सड़क की धूल के कारण चार गुना से अधिक पीएम 2.5 वायु में पहुंच रहे हैं। दून में प्रतिदिन 28 हजार किलो से अधिक पीएम-10 के कण वायुमंडल में मिल रहे हैं, जबकि 12 हजार के अधिक पीएम 2.5 के कण हर रोज वायुमंडल में पहुंचकर हवा को जहरीला बना रहे हैं।
प्रदूषण के उत्सर्जन पर एक नजर
सोर्स | पीएम10 | पीएम2.5 |
रोड डस्ट | 15482 | 3534 |
फारेस्ट फायर | 5327 | 4518 |
वाहन | 2033 | 1830 |
निर्माण | 2631 | 605 |
डोमेस्टिक | 465 | 388 |
प्रदूषण से निकलने वाले सूक्ष्म कणों को पीएम में मापा जाता है। पीएम का मतलब पार्टिकुलेट मैटर है। ये हवा में मौजूद सूक्ष्म कण हैं, जो विभिन्न स्रोतों जैसे वाहनों, उद्योगों और निर्माण गतिविधियों से निकलते हैं। पीएम 2.5 कण इतने छोटे होते हैं कि ये सीधे हमारे फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं। यह रक्त में भी मिल जाते हैं। वहीं पीएम 10 कण पीएम 2.5 से थोड़े बड़े होते हैं और ये मुख्य रूप से नाक और गले में फंस जाते हैं। दोनों ही प्रकार के कण श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं और अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और दमा जैसी बीमारियों को बढ़ावा देते हैं। यह कण हृदय रोगों के खतरे को बढ़ा सकते हैं। लंबे समय तक जहरीले कण फेफड़ों में पहुंचने पर फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
आईआईटी बीएचयू की रिपोर्ट के आधार पर नेशनल क्लीन प्रोग्राम के तहत कार्ययोजना तैयार की गई है, शहर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कई उपाय किए जा रहे र्हैं। -गौरव भसीन, उप नगर आयुक्त, नगर निगम देहरादून