ऊधम सिंह नगर। नशे की वजह से युवा पीढ़ी की जिंदगी धुआं-धुआं हो रही है। नशे का जहर नस-नस में घुलता जा रहा है। स्मैक, चरस, गांजा और शराब की लत से युवा सायकोसिस, डिप्रेशन, एंजाइटी, ब्रेन डैमेज व लीवर की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। नशे का इंजेक्शन लेने वाले युवाओं में एचआईवी एड्स व काला पीलिया का खतरा बढ़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग व ओएसटी सेंटर के आंकड़ों में दर्ज जिन नशे के आदी लोगों का इलाज चल रहा है, उनमें युवा अधिक हैं।
ऊधमसिंहनगर से यूपी के पांच जिलों के साथ नेपाल की अंततराष्ट्रीय सीमा जुड़ी हैं। सीमाओं से यहां तक स्मैक, चरस, गांजे जैसे महंगे नशीले पदार्थों के कारोबारियों की आसानी से पहुंच है। नशे के सौदागर शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को खासकर निशाना बनाते हैं। राजकीय मेडिकल कॉलेज के मानसिक रोग विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन लगभग आठ से दस मरीज स्मैक, गांजा व चरस के लती इलाज को आ रहे हैं।
तंबाकू का सेवन करने वाले 15 से 20 मरीज भी पहुंचते हैं। इसी तरह ओएसटी सेंटर से इंजेक्शन का नशा छुड़ाने के लिए करीब 120-135 मरीजों की दवाई चल रही है। साल 2011 से अब तक करीब 587 मरीज पंजीकृत हैं। इन मरीजों में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर काबू पाने कलिए परामर्श, जांच और दवाइयां दी जाती हैं। राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. केदार सिंह शाही के अनुसार नशा जहां एचआईवी एड्स, हैपेटाइटिस बी व सी, कुपोषण, टीबी, कैंसर जैसी बीमारियां दे रहा है तो वहीं नशे से युवा दिशा खो रहा है।
समाज में भी कुरीतियां बढ़ रही हैं। शारीरिक शोषण, लूटपाट यहां तक कि हत्या जैसी वारदात हो जाती हैं। युवाओं में व्यभचार बढ़ रहा है। युवाओं मानसिक रूप से बीमार होने से आर्थिकी पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। गदरपुर क्षेत्र के एक किसान परिवार का 22 वर्षीय युवक इंजेक्शन का नशा करता है। ओएसटी सेंटर पर पहुंचे युवक ने बताया कि करीब ढाई साल पहले फेसबुक पर युवती से प्यार हुआ। कुछ समय तक साथ रहने के बाद युवती ने धोखा दे दिया। इससे तनाव में आकर इंजेक्शन का नशा करना शुरु कर दिया। अब नशे को छोड़ना चाहता हूं।
ओएसटी सेंटर आने वाले टेंपो चालक प्रेमिका की सड़क दुर्घटना में मौत के सदमे को भुला नहीं सका और नशे का आदी हो गया। वह बताते हैं कि 13 साल तक नशा किया। चरस, शराब व स्मैक पी है। नौ साल का बेटा है। पत्नी व बच्चों की खातिर चार साल पहले नशा छोड़ा। तब से ओएसटी सेंटर पर नियमित रूप से दवाई खाते हैं। दवा के सेवन से नशे की लत नहीं लगती है। आठवीं पास युवक को दोस्ती की संगत ने नशे का आदी बना दिया। दोस्त चरस का नशा करते थे, एक दिन उसे भी चरस पिला दी।
इंजेक्शन के नशे की आगोश में डूबे दोस्तों की सह पर खुद को भी इंजेक्शन लगाए और नशा बढ़ता चला गया। हालत ये हो गई गुर्दों में इंफेक्शन से बीमार होने पर नशा छोड़ा। ओएसटी में छह माह इलाज चला। एक युवक की दोस्ती इंटर में पढ़ाई के दौरान खुद की उम्र से बड़े युवक से हो गई थी। ओएसटी में इलाज करा रहे युवक ने बताया कि दोस्ती में उसने सिगरेट पीनी शुरू की थी। स्मैक का नशा किया और इसके लिए घर से चोरी तक की। जब स्मैक का खर्च बढ़ने लगा तो कम खर्च में नशे के इंजेक्शन लेने शुरू कर दिए। जिसके बाद उसे लत पड़ गई।