ऊधम सिंह नगर। जीबी पंत कृषि विवि के दीक्षांत समारोह में शिरकत के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन में फत्तू के समोसे का जिक्र होने के बाद से ये समोसे ब्रांड बन गए हैं। दूरदराज से लोग समोसे का स्वाद लेने दुकान पर आ रहे हैं। समोसे की बिक्री पहले के मुकाबले चार गुना बढ़ गई है। इससे फतेह सिंह उर्फ फत्तू के बेटे बेहद खुश हैं।
सात नवंबर को जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के 35वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा था कि विवि के छात्र दुनिया में भले ही कहीं भी काम करें, विवि और इस क्षेत्र को जरूर याद रखें। यहां के आलू के पराठे और फत्तू के समोसे खाने के लिए तो वह आते ही रहेंगे। राष्ट्रपति के जिक्र आते ही फत्तू के समोसे मशहूर हो गए। फतेह सिंह उर्फ फत्तू की दुकान संभाल रहे उनके बेटे संजय, दीपक और राजेश ने बताया कि जबसे राष्ट्रपति ने उनके समोसे का जिक्र किया है, दूर-दूर से लोग उनके समोसे चखने आ रहे हैं। पहले जहां दिन भर में ढाई-तीन सौ समोसे बिका करते थे, अब उनकी संख्या अब एक हजार से ऊपर हो गई है।
कुछ दिन पूर्व तक दुकान से जहां बमुश्किल गुजारा होता था, वहीं अब तीनों भाइयों के पास फुर्सत तक नहीं है। तीनों सुबह से समोसे बनाने में जुट जाते हैं और देर रात तक तक बिक्री करते हैं। सिडकुल की फैक्ट्ररी से भी रोज सौ-डेढ़ सौ समोसे का आर्डर मिल जाता है।
फत्तू के बेटे दीपक ने बताया कि वह समोसे बनाने के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं। समोसे का मसाला बनाने में वह उबले आलू के साथ स्वीट काॅर्न, मटर, साबुत धनिया व खुद के पीसे देसी मसालों का प्रयोग करते हैं।
पौड़ी गढ़वाल के पाबो ब्लाॅक में इठुर गांव के रहने वाले फतेह सिंह बिष्ट उर्फ फत्तू 1960 में विवि की स्थापना के समय ही यहां आकर बस गए थे। 1970 में परिसर की बड़ी मार्केट में उन्होंने होटल शुरू किया। बाद में उन्होंने छात्रों की डिमांड पर इसी होटल में समोसे बनाने शुरू किए। उस समय उनका समोसा पांच पैसे का हुआ करता था। वर्ष 2015 में ‘फत्तू’ का निधन हो गया, उसके बाद से दुकान उनके बेटों ने संभाल ली।