उत्तराखण्ड आंदोलनकारी सैकड़ों विधायक हुए, दर्जनों हुए सीएम, कभी कांग्रेस कभी भाजपा ने किया राज लेकिन इन्साफ की गुहार लगाते बुजुर्गों को आज भी न्याय का इंतज़ार है। ये कोई कहानी नहीं इन बूढी और मायूस आँखों में छलकते आंसुओं का वो कड़वा सच है जो सरकार की पहुँच से आज भी दूर है। उम्मीद की लौ जगाये ये बुजुर्ग दम्पति जब समाजसेवी सूर्यकान्त धस्माना के दफ्तर की सीढिया चढ़ रहे थे तो किसी ने धीरे से उनके कानों में कहा अब फ़िक्र मत करिये दादा जी आपको न्याय ज़रूर मिलेगा।
सूर्यकान्त करेंगे बुजुर्ग संग सीएम से वार्ता
जिस राज्य की सत्ता पाने को सभी लालायित रहते हैं , जिस पहाड़ की दुहाई देकर लोग नेता , विधायक , मंत्री और सीएम बन जाते हैं उसी राज्य उत्तराखंड के बनने के 24 साल बाद भी एक चिन्हित आंदोलनकारी अपने सम्मान की लड़ाई लड़ रहा है। दरअसल नेताओं की चौखट पर भटकते भटकते आज राज्य आंदोलनकारी सुनीता देवी अपने वृद्ध पति तेग सिंह के साथ समाजसेवी सूर्यकान्त धस्माना के दफ्तर पहुंची थी जहाँ वो अपनी पीड़ा और निराशा का कसैला सच सुनाते सुनाते रो पड़ी और खुद सूर्यकांत भी भावुक हो उठे फिर फैसला हुआ की तुरंत सीएम धामी से इन बुजुर्गों को मिलवाया जायेगा और उनकी टूटी आस पूरी की जाएगी
धस्माना दिलाएंगे बुजुर्गों को न्याय ?
कांपते हांथों से जब सुनीता देवी ने प्रार्थना पत्र सामने किया तो बोली मुझसे- 72 वर्ष की उम्र हो गयी पति मामूली सरकारी नौकरी से अवकाश प्राप्त हैं व अक्सर बीमार रहते हैं , मैंने अक्टूबर 94 से राज्य बनने तक सैकड़ों बार धरना प्रदर्शन व जेल भरो में हिस्सा लिया। वे बताती रही और कमरे में बैठे लोग भावुकता में बहते रहे – सुशीला बलूनी, बीना बहुगुणा, रंजीत सिंह जी और कितनों के साथ जुलूस में गयी, सन 2000 में राज्य भी बन गया पर धस्माना बेटा हमें क्या मिला? तीन बेटों में से किसी को भी सरकारी नौकरी नहीं मिली, हालांकि मैं सब के पास चली गयी लेकिन आज तक आंदोलनकारी का दर्जा नहीं मिला। सूर्यकांत बेटा ये प्रार्थना पत्र देने आयी हूँ इस उम्मीद से कि ज़रूर आप इन्साफ दिलाओगे ।
धामी सरकार की संवेदनशीलता साबित होगी
दरअसल ये भी सच हैं कि जुगाड़ सेटिंग और ग्रुपबाज़ी में बहुत से जाने अनजाने लोग चिन्हित राज्य आन्दोलनकारी बनकर फायदे उठा रहे हैं लेकिन ऐसे न जाने कितने नींव के पत्थर हैं जो अपनी पहचान साबित करने की जद्दोजहद कर रहे हैं। जिस तरह से मुख्यमंत्री धामी ने राज्य आंदोलनकारियों के हितों और उन्हें सम्मान देने की बात कही है ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि जब सूर्यकांत धस्माना के साथ इन बुजुर्ग राज्य आंदोलनकारियों की दो दशक बाद किसी सीएम से मुलाकात संभव होगा तो उनकी फ़रियाद सुनी जाएगी, न्याय मिलेगा.