टैक्सी नंबर की प्लेट पीली होती है। अगर कोई भी अपने वाहन में इस प्लेट से छेड़छाड़ करता है तो मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई हो सकती है। ऐसे वाहनों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।
– सुनील शर्मा, आरटीओ प्रवर्तन, देहरादून
देहरादून। सचिवालय के अफसरों की टैक्सी में बैठने में शान घटती है। लिहाजा, सचिवालय में ही मोटर व्हीकल एक्ट की धज्जियां उड़ रही हैं। टैक्सी पास गाड़ियों की नंबर से पीली पट्टी हटाकर धड़ल्ले से सफेद पट्टी के साथ उनको संचालित किया जा रहा है।
सचिवालय में अफसरों के लिए दो तरह से गाड़ियां चल रही हैं। पहली तो सीधे सरकारी गाड़ियां, जिनकी नंबर प्लेट जीए नंबर वाली होती है। दूसरी, वह जो टैक्सी के रूप में बाहर से हायर की गई हैं। मसलन, उनके नंबर में टीबी-1 या टीबी-2 लिखा हुआ है।
कायदे से तो इन टैक्सी पास वाहनों की नंबर प्लेट पीली पट्टी वाली होनी चाहिए, लेकिन कुछ अफसरों की गाड़ियों में यह प्लेट सफेद है। कई अफसरों की गाड़ियों में तो हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट भी नहीं है। आम टैक्सी चालक पर भले ही मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई हो जाती हो, लेकिन उत्तराखंड शासन लिखी इन गाड़ियों पर कार्रवाई की अभी तक कोई हिमाकत नहीं कर पाया।
मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 177 के तहत वाहन पंजीकरण से संबंधित दस्तावेज या नंबर प्लेट में छेड़छाड़ करने पर 500 रुपये जुर्माने का प्रावधान है। संबंधित आरटीओ की टीम यह कार्रवाई अपने परिक्षेत्र में कर सकती है।
राज्य संपत्ति विभाग से आने से पहले मेरे पास भी पीली प्लेट की टैक्सी थी। इसमें कोई शान घटने वाली बात नहीं है। अगर किसी ने नंबर प्लेट हटाई है तो यह गंभीर है, इसकी जांच की जाएगी।
– प्रताप शाह, अपर सचिव, राज्य संपत्ति
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