कन्याल की पत्नी के मकान में तैयार हुआ परिणाम
वर्ष 2016 में हुई इस धांधली की पटकथा तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल की पत्नी के मकान में लिखी गई थी। इसी मकान में ओएमआर शीट से छेड़छाड़ कर परीक्षा का परिणाम तैयार किया गया। इस धांधली में एसटीएफ तीन बिचौलियों की गिरफ्तारी पूर्व में कर चुकी है।
देहरादून। ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (वीपीडीओ) की भर्ती परीक्षा में धांधली का सूत्रधार उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग का तत्कालीन अध्यक्ष डा. आरबीएस रावत ही था। उसने लखनऊ के प्रिंटिंग प्रेस आरएमएस टेक्नो साल्यूशन के सीईओ राजेश पाल के साथ मिलकर धांधली की योजना तैयार की थी। बाद में डा. रावत ने तत्कालीन सचिव मनोहर सिंह कन्याल और तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक राजेंद्र सिंह पोखरिया को भी अपने साथ कर लिया और करोड़ों रुपये लेकर कुछ अभ्यर्थियों को लाभ पहुंचाया।
खास बात यह है कि जिन अभ्यर्थियों को पास करवाने का ठेका लिया गया था, उनमें से कुछ आयोग के तत्कालीन पदाधिकारियों के रिश्तेदार थे। बाकी बचे अभ्यर्थियों को प्रिंटिंग प्रेस के सीईओ ने एकत्र किया। इस धांधली के विरुद्ध स्वर भी सबसे पहले आयोग के अंदर से ही उठे थे। हालांकि, शुरुआत में डा. रावत ने अपने पद का फायदा उठाते हुए विरोध को शांत करा दिया। बाद में मामला बढ़ा तो डा. रावत ने पद से इस्तीफा देकर आयोग से किनारा कर लिया।
वीपीडीओ परीक्षा में धांधली से अर्जित किए गए करोड़ों रुपये आरोपित डा. आरबीएस रावत, मनोहर सिंह कन्याल और राजेंद्र सिंह पोखरिया ने कहां खपाए, एसटीएफ अब इसका पता लगा रही है। अनुमान है कि इस धांधली से आरोपितों ने सात से आठ करोड़ रुपये अर्जित किए। बताया जा रहा है कि मनोहर सिंह कन्याल और राजेंद्र सिंह पोखरिया के पास काफी संपत्ति है। इस संपत्ति के बारे में विजिलेंस ने पता लगा लिया था, लेकिन इस बीच विवेचना एसटीएफ को स्थानांतरित कर दी गई। मनोहर सिंह कन्याल का फार्म हाउस होने की भी सूचना मिली है।
इस प्रकरण की विवेचना एसटीएफ को अगस्त 2022 में मिली थी। एसटीएफ ने तेजी से जांच की और 42 अभ्यर्थियों का पता लगाकर उनसे पूछताछ की। इन्हीं अभ्यर्थियों ने आरोपितों का कच्चा चिट्ठा खोल दिया। इनमें से 12 अभ्यर्थियों के बयान कोर्ट के समक्ष भी दर्ज कराए जा चुके हैं। इसके बाद शनिवार को डा. आरबीएस रावत, मनोहर सिंह कन्याल और राजेंद्र सिंह पोखरिया को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया।