
ऊधम सिंह नगर | ऊधम सिंह नगर जिले के रुद्रपुर स्थित जिला अस्पताल में मंगलवार को स्वास्थ्य व्यवस्था की एक ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसने सरकारी अस्पतालों की कार्यप्रणाली और संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। जिस इमरजेंसी वार्ड को गंभीर और आपात स्थिति में आए मरीजों के लिए जीवन रेखा माना जाता है, वही वार्ड उस समय कपड़ों की दुकान में तब्दील नजर आया, जब स्वास्थ्यकर्मी और बाहरी लोग मरीजों के बीच बेड पर सजे सूटों की खरीदारी करते दिखाई दिए।
मंगलवार को दिन में करीब 11:51 बजे इमरजेंसी वार्ड के अस्थायी शव कक्ष के पास स्थित एक कमरे में अचानक असामान्य भीड़ दिखाई दी। जब संवाद न्यूज एजेंसी की टीम ने अंदर जाकर स्थिति देखी तो वहां का दृश्य चौंकाने वाला था। कमरे में रखे एक सिंगल बेड पर पैक किए गए सूटों के ढेर लगे थे और प्रत्येक सूट 200 रुपये में बेचा जा रहा था। यह सब कुछ उसी स्थान पर हो रहा था, जहां आसपास मरीज भर्ती थे और कई तीमारदार अपने परिजनों के इलाज को लेकर परेशान नजर आ रहे थे।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, स्वास्थ्य कर्मचारियों ने ही दो-दो और तीन-तीन सूट खरीदे, जबकि कुछ बाहरी लोग भी मौके पर मौजूद रहकर खरीदारी करते दिखे। यह गतिविधि कुछ मिनटों की नहीं, बल्कि काफी देर तक चलती रही। इस दौरान न तो किसी अधिकारी ने हस्तक्षेप किया और न ही इमरजेंसी वार्ड की गरिमा बनाए रखने की कोई कोशिश नजर आई।
मरीजों और उनके तीमारदारों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। उनके अनुसार, फेरी वालों का इमरजेंसी वार्ड में आकर कपड़े, सामान और अन्य वस्तुएं बेचना यहां लगभग रोजमर्रा का दृश्य बन चुका है। इससे न केवल इलाज की प्रक्रिया बाधित होती है, बल्कि संक्रमण और अव्यवस्था का खतरा भी लगातार बना रहता है। कई बार गंभीर मरीजों को समय पर डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मी नहीं मिल पाते, क्योंकि कर्मचारी निजी गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं।
इस पूरे मामले ने अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली और निगरानी व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इमरजेंसी वार्ड जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इस तरह की गतिविधियां मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ मानी जा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आपातकालीन सेवाओं में अनुशासन और सतर्कता सबसे जरूरी होती है, लेकिन यहां हालात इसके बिल्कुल उलट दिखाई दे रहे हैं।
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए स्वास्थ्य निदेशक, कुमाऊं मंडल डॉ. केके पांडेय ने कहा कि जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में कपड़े बेचने जैसी गतिविधि बेहद गंभीर है। इस संबंध में अस्पताल प्रशासन को पत्र लिखकर कड़ी चेतावनी दी जाएगी और भविष्य में ऐसी गतिविधियां न हों, इसके लिए जवाब तलब किया जाएगा।
वहीं जिला अस्पताल के पीएमएस डॉ. आरके सिन्हा ने कहा कि इमरजेंसी वार्ड ही नहीं, पूरे अस्पताल परिसर में इस तरह की गतिविधि किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मामले की जांच कराई जाएगी और यदि कोई दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, मरीजों और आम नागरिकों का कहना है कि केवल बयान और आश्वासन से स्थिति नहीं सुधरेगी। जब तक जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर वास्तविक कार्रवाई नहीं होगी, तब तक अस्पताल की इमरजेंसी सेवाएं यूं ही अव्यवस्था और लापरवाही की भेंट चढ़ती रहेंगी।




