
देहरादून: उत्तराखंड में चुनाव आयोग की ओर से प्रस्तावित विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से पहले प्री-एसआईआर गतिविधियां तेज कर दी गई हैं। इसके तहत प्रदेशभर में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर जाकर मतदाताओं की मैपिंग कर रहे हैं और उनसे वर्ष 2003 के वोट से संबंधित जानकारी जुटा रहे हैं। कई स्थानों पर मतदाता बीएलओ के सवालों से असहज या भयभीत नजर आ रहे हैं, जिस पर निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि इस प्रक्रिया से घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम के निर्देशों के तहत चल रही इस प्री-मैपिंग का उद्देश्य आगामी एसआईआर प्रक्रिया को सरल और सुचारु बनाना है। निर्वाचन विभाग के अनुसार, यदि मतदाता इस चरण में बीएलओ को 2003 के वोट की जानकारी उपलब्ध करा देते हैं, तो बाद में एसआईआर शुरू होने पर इन्म्युरेशन फॉर्म भरने में काफी आसानी होगी। फिलहाल इस चरण में किसी भी प्रकार का दस्तावेज जमा कराने की जरूरत नहीं है, केवल मौखिक जानकारी देना पर्याप्त है।
निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई मतदाता प्री-मैपिंग के दौरान 2003 के वोट की जानकारी उपलब्ध नहीं करा पाता है, तो उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है। अभी केवल मैपिंग का कार्य चल रहा है और वास्तविक एसआईआर प्रक्रिया शुरू होने पर मतदाता अपने इन्म्युरेशन फॉर्म के साथ आवश्यक जानकारी और दस्तावेज प्रस्तुत कर सकते हैं। आयोग का प्रयास है कि पूरी प्रक्रिया मतदाता-फ्रेंडली हो और किसी भी नागरिक को अनावश्यक कठिनाई न हो।
मतदाताओं की सुविधा के लिए निर्वाचन विभाग ने कुछ तैयारियां पहले से करने की सलाह भी दी है। यदि किसी का वर्ष 2003 में वोट उत्तराखंड या किसी अन्य राज्य में था, तो संबंधित राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध मतदाता सूची से अपना नाम खोजकर उसका प्रिंटआउट रखा जा सकता है। जिन लोगों का 2003 में वोट नहीं था, वे अपने माता-पिता की वोटर लिस्ट की जानकारी संभाल कर रख सकते हैं। इसके अलावा आधार कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, सरकारी या अर्ध-सरकारी पहचान पत्र, छात्र पहचान पत्र, बिजली-पानी-टेलीफोन बिल, बैंक या डाकघर की पासबुक, राशन कार्ड, किरायानामा, आवास आवंटन पत्र या गैस कनेक्शन से जुड़े दस्तावेजों में से कोई भी पहचान और पते का प्रमाण उपयोगी हो सकता है।
निर्वाचन विभाग ने एक बार फिर दोहराया है कि बीएलओ की यह कवायद केवल मतदाता सूची को अधिक सटीक और पारदर्शी बनाने के लिए है। मतदाताओं से अपेक्षा की गई है कि वे बिना किसी डर या संकोच के बीएलओ को सहयोग करें, ताकि आगामी एसआईआर प्रक्रिया सुचारु रूप से पूरी की जा सके।




