
अलीगढ़। बरौला जाफराबाद इलाके में पैतृक संपत्ति के बंटवारे को लेकर लंबे समय से चला आ रहा विवाद आखिरकार खून-खराबे में तब्दील हो गया। विवाद के दौरान हुई फायरिंग में युवक सोनू की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि उसके पिता प्रवेश गंभीर रूप से घायल हो गए। इस घटना के बाद इलाके में तनाव फैल गया और गुस्साए परिजनों व महिलाओं ने बरौला बाईपास पर जाम लगाकर जमकर हंगामा किया। करीब तीन घंटे तक चले इस प्रदर्शन के बाद तब जाकर जाम खुला, जब परिवार के बुजुर्ग ने जमीन में हिस्सा देने का आश्वासन दिया।
बताया जा रहा है कि इस विवाद की जड़ करीब डेढ़ साल पहले रखी गई थी, जब प्रवेश के पिता हरप्रसाद ने अपने पैतृक मकान और बगल के एक बीघा प्लॉट का बंटवारा करते हुए तीन बेटों के नाम लिखापढ़ी कर दी थी, लेकिन प्रवेश के नाम कोई हिस्सा दर्ज नहीं किया गया। इसके बावजूद प्रवेश अपने परिवार के साथ उसी मकान में रह रहा था और प्लॉट के एक हिस्से में उसकी पत्नी विद्या देवी उपले बनाकर परिवार का गुजारा कर रही थीं। धीरे-धीरे दूसरे भाइयों द्वारा मकान और प्लॉट खाली करने का दबाव बढ़ता गया और बीते छह महीनों से विवाद लगातार तूल पकड़ता चला गया।
परिजनों के अनुसार, बुधवार को पुलिस भी इस विवाद में दखल देने पहुंची थी। इलाके के दरोगा ने कागजात न होने का हवाला देते हुए प्रवेश से मकान खाली करने को कहा था, जिस पर प्रवेश ने छह महीने का समय मांगा था ताकि वह कहीं और घर बना सके। इसी के अगले दिन गुरुवार सुबह जब विद्या देवी उपले बनाने की जगह पर सफाई कर रही थीं, तभी विवाद फिर भड़क उठा। उस समय प्रवेश के दोनों बेटे काम पर जा चुके थे। पहले प्रवेश के साथ मारपीट हुई और सूचना मिलने पर बड़ा बेटा सोनू मौके पर पहुंचा, जो झगड़े में शामिल हो गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार झगड़े के दौरान दोनों पक्षों में ईंट-पत्थर चले और हाथापाई के बीच लोग नाले में भी गिर पड़े। इसके बाद अचानक फायरिंग शुरू हो गई, जिसमें सोनू को गोली लगी और वह गंभीर रूप से घायल हो गया, जबकि प्रवेश को भी गोली लगने से हालत नाजुक हो गई। मोहल्ले के लोग दोनों को पहले एक निजी अस्पताल ले गए, जहां से उन्हें मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। इलाज के दौरान सोनू ने दम तोड़ दिया।
हत्या के बाद हालात और भयावह हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि आरोपी पहले घर जाकर नाले में गिरने से गीले हुए कपड़े बदलकर आए और फिर हथियार लहराते हुए मोहल्ले में धमकी दी कि जो भी आगे आएगा, उसका भी यही अंजाम होगा। इस डर के कारण काफी देर तक कोई भी पुलिस को सूचना देने की हिम्मत नहीं जुटा सका। करीब एक घंटे बाद मेडिकल कॉलेज पहुंचने पर पुलिस को घटना की जानकारी मिली।
सोनू की मौत के बाद परिवार के पुरुष सदस्य जहां इलाज और पोस्टमार्टम की प्रक्रिया में जुटे रहे, वहीं मृतक की पत्नी यशोदा और उसके मायके व रिश्तेदारी से आई महिलाओं ने मोर्चा संभाल लिया। दोपहर करीब ढाई बजे महिलाओं ने खुद बांस-बल्ली और पाइप लेकर बरौला बाईपास जाम कर दिया। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन आक्रोशित महिलाओं के सामने हालात संभालना मुश्किल हो गया। मौके पर सीओ तृतीय सर्वम सिंह समेत अन्य अधिकारी पहुंचे और महिला पुलिस की मौजूदगी में समझाने का प्रयास किया गया, लेकिन महिलाएं जमीन में हिस्से और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़ी रहीं।
महिलाओं का साफ कहना था कि जब तक सोनू के बेटे और कृष्णगोपाल के नाम संपत्ति में हिस्सा दर्ज नहीं किया जाएगा, तब तक जाम नहीं खुलेगा। करीब तीन घंटे तक चले इस तनावपूर्ण हालात के बाद आखिरकार परिवार के बुजुर्ग ने जमीन में हिस्सा देने का आश्वासन दिया, जिसके बाद जाकर बाईपास से जाम हटाया गया।
इधर पुलिस ने देर शाम तक पोस्टमार्टम की कार्रवाई पूरी कराई और इलाके में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया, ताकि शव के घर पहुंचने पर कोई नई अप्रिय स्थिति न पैदा हो। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि पारिवारिक संपत्ति विवाद किस तरह समय रहते सुलझाए न जाएं तो वे कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती बन जाते हैं और एक पूरे परिवार को तबाही की ओर धकेल देते हैं।







