
चमोली। बदरीनाथ के पास स्थित कुबेर पर्वत से शुक्रवार दोपहर एक ग्लेशियर टूटने की खबर सामने आई, जिससे क्षेत्र में अचानक अफरातफरी मच गई। यह ग्लेशियर कंचन गंगा के ऊपर से टूटकर नीचे नाले की ओर आया। ग्लेशियर के टूटने की आवाज और दृश्य देखकर स्थानीय लोग घबरा गए, हालांकि राहत की बात यह रही कि इस घटना में किसी तरह के नुकसान या जनहानि की सूचना नहीं मिली है।
उप जिलाधिकारी (जोशीमठ) चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि पर्वत की ऊपरी सतह से बर्फ और चट्टान का एक बड़ा हिस्सा टूटकर नीचे आया, जिससे कंचन गंगा क्षेत्र में हल्का कंपन और बर्फ की धूल का गुबार दिखाई दिया। उन्होंने बताया कि प्रशासन की टीम ने मौके पर जाकर स्थिति का निरीक्षण किया है और फिलहाल स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऊंचाई वाले इलाकों में ग्लेशियरों के टूटने की घटनाएं मौसम में तेजी से आए बदलाव और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण होती हैं। उत्तराखंड जैसे संवेदनशील पर्वतीय इलाकों में ये घटनाएं आम होती जा रही हैं, जो जलवायु परिवर्तन के गहराते प्रभाव की ओर इशारा करती हैं।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब इस क्षेत्र में ग्लेशियर टूटा हो। 28 फरवरी 2025 को भी भारत-चीन (तिब्बत) सीमा क्षेत्र में माणा कैंप के पास भारी हिमस्खलन हुआ था, जिसमें निर्माण कार्य में लगे 55 मजदूर बर्फ में दब गए थे। इससे पहले 2021 में चमोली के रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने से आई भीषण आपदा में ऋषिगंगा पर बनी परियोजना बह गई थी और 206 लोगों की मौत हो गई थी।
स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और सावधानी बरतने की अपील की है। साथ ही, पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान के बढ़ने के साथ ग्लेशियरों की निरंतर निगरानी के लिए संबंधित विभागों को अलर्ट पर रखा गया है।




