
मसूरी (देहरादून) | मसूरी-देहरादून मार्ग पर सोमवार सुबह अचानक राजनीतिक हलचल मच गई, जब पुलिस ने यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल के काफिले को चुनाखाला के पास रोक दिया। पुलिस का कहना है कि सड़क पर चल रही जेसीबी मशीन खराब हो गई थी, जिसके कारण रास्ता बंद करना पड़ा। लेकिन विधायक ने इसे पूरी तरह राजनीतिक षड्यंत्र बताया और आरोप लगाया कि सरकार उनके देहरादून घेराव कार्यक्रम को रोकने के लिए पुलिस का सहारा ले रही है।
सड़क जाम से यात्रियों की परेशानी
पुलिस की कार्रवाई के कारण दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। मसूरी-देहरादून मार्ग पर कई घंटों तक लोग फंसे रहे। आम यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। पर्यटक वाहन भी जाम में फंस गए, जिससे यात्रियों में आक्रोश दिखाई दिया।
विधायक के आरोप
विधायक संजय डोभाल ने कहा कि उनका उद्देश्य देहरादून जाकर सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाना था। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन जानबूझकर उनके समर्थकों को जगह-जगह रोक रहा है, ताकि आंदोलन कमजोर पड़ जाए।
उन्होंने साफ कहा—
“यह केवल जेसीबी मशीन खराब होने का बहाना नहीं है, बल्कि सरकार विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। हमारे समर्थकों को भी जगह-जगह रोककर परेशान किया जा रहा है।”
पैदल निकले विधायक और समर्थक
काफिला रोके जाने के बाद विधायक संजय डोभाल ने अपने समर्थकों के साथ पैदल ही देहरादून की ओर कूच करना शुरू कर दिया। उनके साथ बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और समर्थक भी सड़क पर उतर आए। इससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया।
पुलिस का पक्ष
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह कदम सिर्फ सुरक्षा और यातायात प्रबंधन के तहत उठाया गया। जेसीबी मशीन खराब होने से रास्ता अवरुद्ध हो गया था। इसलिए सभी वाहनों को रोकना पड़ा। उन्होंने विधायक के आरोपों को निराधार बताया।
राजनीतिक रंग
इस घटना के बाद राजनीति गरमा गई है। समर्थकों का कहना है कि सरकार जनता की आवाज दबाने के लिए पुलिस का दुरुपयोग कर रही है। वहीं सत्तापक्ष के लोग तर्क दे रहे हैं कि यातायात अवरोध एक तकनीकी समस्या थी, जिसका राजनीति से कोई संबंध नहीं।
सवाल खड़े
- क्या सचमुच सड़क अवरुद्ध होना केवल मशीन खराब होने का मामला था?
- या फिर प्रशासन ने राजनीतिक दबाव में यह कदम उठाया?
- जब आम लोग घंटों जाम में फंसे, तो उनके लिए जिम्मेदार कौन होगा?
स्थानीय जनता की नाराजगी
स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों ही इस अव्यवस्था से परेशान हुए। उनका कहना था कि पुलिस और प्रशासन को पहले से वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी। सड़क पर फंसे यात्रियों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी थे, जिन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।