
देहरादून। दून घाटी में आई भीषण आपदा ने अब तक 23 लोगों की जान ले ली है। गुरुवार को छह और शव बरामद किए गए, जिनमें चार शव देहरादून में और दो शव सहारनपुर के मिर्जापुर यमुना नदी में मिले। इस आपदा में सबसे दर्दनाक कहानी उन चार मजदूरों की है जो सहारनपुर से दून आए थे और मालदेवता क्षेत्र में रोज़ी-रोटी कमाने के लिए पत्थर तोड़ने का काम कर रहे थे। आपदा की रात उनकी आखिरी बातचीत और उनके अंतिम शब्द परिजनों की यादों में हमेशा-हमेशा के लिए दर्ज हो गए हैं।
“बारिश बहुत तेज है, हमारे कमरे में आ जाओ। वहां रहना ठीक नहीं है…” यह शब्द उनके साथी मजदूरों ने उन्हें कहे थे। लेकिन चेतावनी के कुछ ही मिनट बाद अचानक पानी का बहाव इतना तेज हुआ कि करीब 20 फीट तक का उछाल आया और चारों मजदूर तेज धारा में बह गए। देखते ही देखते उनके कमरे तबाह हो गए और उनका नामोनिशान मिट गया।
सहारनपुर से दून तक रोज़गार की तलाश
सहारनपुर जिले के फतेहपुर स्थित मिरपुर गाँव के निवासी मिथुन, श्यामलाल, धर्मेंद्र और विकास कुमार एक सप्ताह पहले ही दून के मालदेवता क्षेत्र में काम करने आए थे। वे ठेकेदार के अधीन पत्थर तोड़ने का कार्य करते और मालदेवता में ही एक कमरे में रह रहे थे। मजदूरी के बल पर घर का पेट पालने वाले इन युवाओं ने कभी सोचा भी नहीं था कि उनकी कमाई की तलाश उन्हें ऐसी त्रासदी की ओर धकेल देगी।
आखिरी बातचीत
लापता धर्मेंद्र के भाई प्रवीण ने बताया कि 15 सितंबर की रात करीब 9 बजे ही उनकी धर्मेंद्र से बात हुई थी। उस समय मालदेवता में जोरदार बारिश हो रही थी। धर्मेंद्र ने भाई से कहा था कि वे जल्द ही घर लौटने का विचार कर रहे हैं क्योंकि लगातार बारिश काम में भी बाधा डाल रही थी और जोखिम भी बढ़ा रही थी। परिजनों को क्या पता था कि यह बातचीत उनके जीवन का आखिरी संवाद साबित होगी।
परिजनों की बेचैनी
मालदेवता की त्रासदी के बाद चारों के परिवारजन सहारनपुर से देहरादून पहुंचे और शवों की तलाश में दिन-रात भटक रहे हैं। बुधवार को भी उन्होंने प्रभावित इलाकों में हर जगह तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चल सका। परिजन उम्मीद और भय के बीच जूझ रहे हैं—कहीं कोई चमत्कार हो जाए और उनके अपनों का सुराग मिल जाए।
आपदा का मंजर
आपदा की उस रात मालदेवता में लगातार तेज बारिश हो रही थी। आसपास के मजदूरों ने भी उन्हें बार-बार चेतावनी दी थी कि कमरे में आ जाओ, बाहर रहना ठीक नहीं है। लेकिन कुछ ही देर बाद पानी का बहाव इतना तेज हो गया कि बीस फीट तक का उछाल आया और चारों मजदूर तेज धारा में समा गए। उनके साथी मजदूर और पड़ोसी केवल असहाय होकर यह मंजर देखते रह गए।
मौत का आंकड़ा और राहत कार्य
इस आपदा में मृतकों का आंकड़ा अब तक 23 तक पहुँच चुका है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार मलबा हटाने और लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं। मालदेवता समेत आसपास के इलाकों में हालात बेहद भयावह हैं। मकानों में मलबा घुस चुका है, कई लोग बेघर हो गए हैं और स्थानीय लोग अभी भी दहशत में हैं।
सवाल और संवेदना
सहारनपुर के इन मजदूरों की त्रासदी ने एक बार फिर दिखा दिया कि प्राकृतिक आपदाएँ सबसे ज्यादा असर गरीब और हाशिए पर खड़े तबकों पर डालती हैं। रोज़ी-रोटी की तलाश में घर-गाँव छोड़कर निकले ये मजदूर अब लापता हैं, उनके परिवारजन बेसहारा और दुख से टूटे हुए हैं। सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे न केवल राहत और मुआवजा सुनिश्चित करें बल्कि आपदा प्रबंधन की तैयारियों को भी और मजबूत करें, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।