
नई दिल्ली | भारतीय थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रविवार को आईआईटी मद्रास में आयोजित एक कार्यक्रम में देश के हालिया और चर्चित “ऑपरेशन सिंदूर” की रणनीतिक कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि यह अभियान किसी पारंपरिक युद्ध जैसा नहीं था, बल्कि एक “शतरंज के खेल” की तरह था, जिसमें दोनों पक्ष एक-दूसरे की चालों को भांपने की कोशिश कर रहे थे और हर कदम पर अप्रत्याशित मोड़ सामने आ रहे थे।
जनरल द्विवेदी ने स्पष्ट किया कि इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक शह-मात दी, बावजूद इसके कि दुश्मन लगातार नैरेटिव मैनेजमेंट के जरिए खुद को विजेता साबित करने की कोशिश कर रहा था। उन्होंने कहा,
“हमें नहीं पता था कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी और हम क्या करने वाले हैं। इसे ग्रेज़ोन कहते हैं—जहां हम पारंपरिक ऑपरेशन से थोड़ी कम तीव्रता वाले लेकिन बेहद रणनीतिक कदम उठाते हैं।”
ग्रेज़ोन वारफेयर और पाकिस्तान की चालें
सेना प्रमुख ने बताया कि ग्रेज़ोन का मतलब होता है एक ऐसा ऑपरेशन जो युद्ध और शांति की पारंपरिक सीमाओं के बीच संचालित होता है। यहां न तो पूरी तरह से पारंपरिक लड़ाई होती है और न ही पूरी तरह से शांति रहती है। “हम शतरंज की चालें चल रहे थे और पाकिस्तान भी चालें चल रहा था। कहीं हम उन्हें मात दे रहे थे, तो कहीं हमें भी जोखिम उठाना पड़ रहा था।” उन्होंने पाकिस्तान के उस नैरेटिव मैनेजमेंट की आलोचना की जिसमें इस्लामाबाद अपनी असलियत छिपाकर जीत का दावा कर रहा है। “अगर आप किसी पाकिस्तानी से पूछेंगे कि जीते या हारे, तो वह कहेगा—हमारे सेना प्रमुख फील्ड मार्शल बन गए हैं, तो हम जीते होंगे।”
राजनीतिक संकल्प और ‘बस, बहुत हो गया’ का पल
ऑपरेशन सिंदूर की जड़ें 7 मई 2025 की घटना से जुड़ी हैं, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी थी। इस हमले ने न केवल देश को झकझोर दिया, बल्कि राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व के बीच एक निर्णायक बैठक की नींव रखी। जनरल द्विवेदी ने बताया, “यह पहली बार था जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उच्च-स्तरीय बैठक में साफ शब्दों में कहा—‘बस, बहुत हो गया।’ इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तीनों सेना प्रमुख एकमत थे कि अब निर्णायक कदम उठाना जरूरी है।”
सरकार ने सेना को ‘खुली छूट’ दी—क्या करना है, कैसे करना है, यह पूरी तरह सैन्य नेतृत्व पर छोड़ दिया गया।
“ऐसा आत्मविश्वास और राजनीतिक स्पष्टता हमने पहली बार देखी,” द्विवेदी ने कहा।
निर्णायक जीत और भविष्य की दिशा
जनरल द्विवेदी ने कहा कि इस अभियान में सैन्य, कूटनीतिक और मनोवैज्ञानिक—तीनों मोर्चों पर पाकिस्तान को घेरने की रणनीति अपनाई गई। भारत ने ग्रेज़ोन में खेलते हुए पाकिस्तान की योजनाओं को विफल किया और अंत में निर्णायक जीत हासिल की।
उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले समय में युद्ध की परिभाषा और अधिक बदल जाएगी। यह अब केवल हथियारों की ताकत पर नहीं, बल्कि नैरेटिव, साइबर ऑपरेशन और मनोवैज्ञानिक बढ़त पर भी आधारित होगी।