
उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में आई भीषण आपदा के बीच एक मार्मिक और साहस से भरी कहानी सामने आई है। उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के रहने वाले अग्निवीर सोनू सिंह, जो राहत और बचाव कार्य के लिए अपनी 18 सदस्यीय टुकड़ी के साथ पहुंचे थे, अचानक भागीरथी के सैलाब में बह गए। इस वक्त वह जिला अस्पताल उत्तरकाशी के आईसीयू में भर्ती हैं और खुद को बचा पाने का श्रेय अपनी बहनों की दुआओं को देते हैं।
आपदा का वह डरावना पल
सोनू ने बताया कि 5 अगस्त को धराली में आई आपदा की सूचना के बाद उनकी टुकड़ी को राहत एवं बचाव कार्य के लिए भेजा गया था। जैसे ही वे हर्षिल नाला पार कर रहे थे, अचानक मलबा आ गिरा और तेज बहाव ने उन्हें और उनके साथियों को बहा दिया। सोनू का कहना है, “मुझे लगा अब मैं नहीं बचूंगा, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी।”
भागीरथी का तेज पानी उन्हें पत्थरों से टकराते हुए बहा ले गया। शरीर पर कई जगह चोटें आईं, लेकिन उन्होंने साहस नहीं खोया और बहते हुए एक पेड़ को पकड़ लिया। करीब डेढ़ घंटे तक मलबे में फंसे रहने के बाद सेना की दूसरी टुकड़ी ने उन्हें ढूंढ निकाला और सुरक्षित बाहर लाया।
नौ साथी अब भी लापता
सोनू की टुकड़ी के नौ जवान अब भी लापता हैं, जिनमें एक सूबेदार और एक हवलदार शामिल हैं। इस दर्द के बीच भी सोनू अपनी बची हुई जान के लिए भगवान और अपनी बहनों की दुआओं का आभार जताते हैं।
रक्षाबंधन का अधूरा वादा
सोनू ने बताया कि उनकी छोटी बहन सोनाली और बड़ी बहन सुषमा उन्हें बार-बार फोन कर रक्षाबंधन पर घर आने के लिए कह रही थीं, लेकिन छुट्टी न मिलने के कारण वे नहीं आ पाए। उन्होंने बहनों से वादा किया है कि इस बार रक्षाबंधन नहीं सही, लेकिन दिवाली पर जरूर घर आएंगे।
मानवता और रिश्तों की मिसाल
आपदा की इस भयावह घटना के बीच सोनू की कहानी सिर्फ एक सैनिक की बहादुरी नहीं, बल्कि भाई-बहन के अटूट रिश्ते और दुआओं की ताकत का जीवंत उदाहरण है। मौत के मुंह से लौटे इस अग्निवीर की जीवटता ने एक बार फिर साबित कर दिया कि साहस और विश्वास, दोनों मिलकर असंभव को संभव बना देते हैं।