
लखनऊ | राजधानी लखनऊ के ठाकुरगंज क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित स्कूल में कक्षा-7 की छात्रा से छेड़छाड़ के मामले ने सनसनी फैला दी है। आरोप है कि गणित के शिक्षक मोहित मिश्र छात्रा का बाथरूम तक पीछा करते थे और अंदर जाकर उसके शरीर को छूते थे। पीड़िता के पिता की तहरीर पर पुलिस ने पॉक्सो एक्ट, छेड़छाड़ और धमकाने की धाराओं में केस दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
डीसीपी पश्चिम विश्वजीत श्रीवास्तव के अनुसार, सआदतगंज निवासी 13 वर्षीय छात्रा बृहस्पतिवार को छुट्टी के समय स्कूल परिसर में रोते हुए मिली। पूछताछ में उसने बताया कि आरोपी पिछले 15 दिनों से उससे अश्लील हरकत कर रहा था। इतना ही नहीं, कुछ शिक्षकों ने उस पर घरवालों से शिकायत न करने का दबाव भी डाला था। पीड़ित के पिता ने आरोप लगाया कि स्कूल में मौजूद एक अन्य अभिभावक ने भी मोहित मिश्र पर अपनी बहन से छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। इसके अलावा, पहले भी लगभग पांच छात्राओं ने घर पर शिक्षक की हरकतों की शिकायत की थी।
स्कूल प्रशासन का बयान
सेंट जोसेफ स्कूल (बजाज ग्रुप) के प्रबंधक राजेश अग्रवाल ने कहा कि शिकायत मिलते ही सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई, जिसमें उन्हें ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया। हालांकि पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर विस्तृत जांच शुरू कर दी है।
पोक्सो मामलों में उत्तर प्रदेश की चिंताजनक तस्वीर
लखनऊ का यह मामला उत्तर प्रदेश में बढ़ते पोक्सो अपराधों की व्यापक तस्वीर का हिस्सा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार:
- 2022 में यूपी में 8,151 पोक्सो मामले दर्ज हुए, जो पूरे देश में सबसे अधिक है।
- राज्य में औसतन हर 6 घंटे में एक पोक्सो केस दर्ज होता है।
- मार्च 2023 तक यूपी में 48,630 पोक्सो मामले अदालतों में लंबित थे।
विशेष पोक्सो अदालतों में निपटान दर अभी भी 38.5% के आसपास है, जबकि पेंडेंसी लगातार बढ़ रही है।
सरकार की पहल और चुनौतियां
यूपी सरकार ने “ऑपरेशन कन्विक्शन” के तहत 2024-25 में 6,075 मामलों में दोषसिद्धि हासिल की, जो 66% की सजा दर दर्शाता है। यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि लंबित मामलों की संख्या और पीड़ितों पर दबाव की घटनाएं दर्शाती हैं कि अभी भी न्याय प्रणाली में सुधार की बड़ी गुंजाइश है।
बच्चों की सुरक्षा के लिए सलाह
- बच्चों को अच्छे और बुरे स्पर्श का फर्क सिखाएं।
- उन्हें बताएं कि किसी भी अनुचित व्यवहार की तुरंत घर पर जानकारी दें।
- समय-समय पर बच्चों से स्कूल और अन्य जगहों पर लोगों के व्यवहार के बारे में बात करें।
यह मामला न केवल एक स्कूल के भीतर सुरक्षा के गंभीर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि पोक्सो अपराधों के खिलाफ कड़ी निगरानी, त्वरित न्याय और पीड़ितों की सुरक्षा के लिए व्यवस्था कितनी जरूरी है।