
प्रयागराज | प्रयागराज जनपद के जसरा थाना क्षेत्र अंतर्गत चितौरी ग्रामसभा में एक बेहद दुखद और चिंताजनक घटना सामने आई है, जहां मामूली हंसी-मजाक से उपजे विवाद ने इतना भयावह रूप ले लिया कि 65 वर्षीय बुजुर्ग कल्लू पटेल की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। घटना के बाद पूरे गांव में तनाव की स्थिति बनी हुई है। हालात को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। यह घटना केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं, बल्कि ग्रामीण समाज में तेजी से घटते संवाद और बढ़ती आक्रामकता का जीवंत उदाहरण बनकर सामने आई है।
मामा-भांजे जैसे संबंध में दरार: दोस्ती की जगह बना दुर्भावना का गर्त
चितौरी गांव निवासी कल्लू पटेल का जीवन सामान्य, परिश्रमी और मिलनसार था। वे परिवार के मुख्य सहारा थे, जिन पर पत्नी, दो बेटे और चार बेटियों का जीवन आश्रित था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मंगलवार को कल्लू पटेल जसरा बाजार से लौटते समय गांव की किराना दुकान पर बैठे हुए थे। वहीं पर लीवदी सेंधवार गांव के निवासी और स्थानीय ईंट-भट्ठा मालिक मौजी लाल यादव भी आ पहुंचे। दोनों पहले घनिष्ठ मित्र थे और आपसी संबोधन में मामा-भांजे की उपाधि का उपयोग किया करते थे।
परंतु उस दिन की हंसी-मजाक कुछ तीखी हो गई। बात बढ़ी, तो मौजी लाल ने आवेश में आकर कल्लू पटेल पर लात-घूंसे और थप्पड़ों से हमला बोल दिया। इतना ही नहीं, मारपीट की सूचना मिलते ही आरोपी के परिवार के अन्य सदस्य भी मौके पर पहुंचे और उन्होंने भी कल्लू पटेल को बेरहमी से पीटा। भीड़ के बीच, खुलेआम हुई यह मारपीट अंततः बुजुर्ग की जान लेकर ही थमी।
परिवार का विलाप और गांव में भय का वातावरण
हत्या की खबर जैसे ही फैली, पूरे गांव में मातम पसर गया। कल्लू पटेल के घर पर कोहराम मचा हुआ है। परिजनों ने शव को पोस्टमार्टम के लिए देने से इनकार कर दिया और आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग पर अड़ गए। घटना की सूचना मिलते ही घूरपुर थाना प्रभारी दिनेश सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। लेकिन परिजनों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। बाद में एसीपी कौंधियारा विवेक कुमार यादव और एसीपी बारा कुंजलता ने ग्रामीणों से बातचीत कर शव को अंततः पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया।
पुलिस की कार्रवाई: दबिश जारी, आरोपी फरार
पुलिस ने मुख्य आरोपी मौजी लाल यादव के घर और ईंट-भट्ठे पर दबिश दी, लेकिन सभी आरोपी फरार मिले। केवल एक बुजुर्ग महिला घर में उपस्थित थी। पुलिस ने परिजनों को भरोसा दिलाया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष टीम गठित की जाएगी और जल्द से जल्द आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा।फिलहाल गांव में तनाव की स्थिति बनी हुई है। ऐहतियात के तौर पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। ग्रामीणों में भय और असुरक्षा की भावना व्याप्त है।
सामाजिक संदर्भ: क्या हम संवाद और सहनशीलता खोते जा रहे हैं?
यह घटना सिर्फ कानून-व्यवस्था का मामला नहीं, बल्कि सामाजिक ढांचे में फैलती असहिष्णुता और संवादहीनता का प्रतीक भी है। जहां एक समय में “मामा-भांजे” जैसे संबोधन आत्मीयता के प्रतीक होते थे, वहीं आज वही संबंध आक्रोश, अहंकार और हिंसा में तब्दील हो रहे हैं। क्या यह केवल एक हत्या है, या एक समाज का नैतिक पतन?
परिजनों की मांग: जल्द हो गिरफ्तारी, मिले न्याय
मृतक के परिजन लगातार प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उनका कहना है कि यह पूर्व नियोजित हत्या है, जिसे झगड़े का रूप देकर दबाने की कोशिश हो रही है। परिवार और ग्रामीणों ने चेताया है कि यदि शीघ्र गिरफ्तारी नहीं हुई तो वे धरना-प्रदर्शन करेंगे। प्रयागराज की यह घटना एक बार फिर इस बात की चेतावनी देती है कि समाज में संवाद, सहिष्णुता और संबंधों की गरिमा को बचाना अब केवल नैतिक नहीं, बल्कि सामाजिक ज़रूरत बन चुकी है। पुलिस की सक्रियता, प्रशासन की संवेदनशीलता और समाज की सजगता—तीनों की परीक्षा इस मामले में होगी।