
देहरादून | उत्तराखंड के 27 लाख से अधिक बिजली उपभोक्ताओं के लिए आने वाला वक्त महंगा हो सकता है। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (UERC) में बिजली दरों में संभावित बढ़ोतरी को लेकर मंगलवार को महत्वपूर्ण जनसुनवाई आयोजित की गई। इसमें बिजली उपभोक्ताओं से 674.77 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली को लेकर उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPCL) की मांग पर गंभीर विचार-विमर्श चल रहा है।
क्या है मामला?
दरअसल, UPCL ने आयोग से 11 अप्रैल 2025 को जारी टैरिफ आदेश की समीक्षा की मांग की है। उल्लेखनीय है कि अप्रैल में पहले ही बिजली की दरों में 5.62 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। अब पावर कॉरपोरेशन का तर्क है कि इस वृद्धि के बावजूद, बीते वित्तीय वर्ष और आगामी खर्चों को देखते हुए उन्हें घाटा हो रहा है, जिसे उपभोक्ताओं से वसूला जाना चाहिए। इसी को आधार बनाते हुए 674.77 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली का प्रस्ताव सामने रखा गया है।
5.82% तक बढ़ सकती हैं दरें
UPCL की इस मांग के अनुसार अगर आयोग प्रस्ताव को मंजूरी देता है, तो राज्य में बिजली की दरों में 5.82 प्रतिशत तक और वृद्धि हो सकती है। यह वृद्धि घरेलू उपभोक्ताओं से लेकर व्यावसायिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं तक सभी पर असर डालेगी। आयोग में हुई जनसुनवाई में आम नागरिकों, उपभोक्ता संगठनों, और व्यापारिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने इस प्रस्ताव का जोरदार विरोध किया।
जनसुनवाई में क्या हुआ?
देहरादून स्थित विद्युत नियामक आयोग के सभागार में आयोजित जनसुनवाई की अध्यक्षता आयोग के चेयरमैन एम.एल. प्रसाद और सदस्य विधि अनुराग शर्मा ने की। सुनवाई में अनेक उपभोक्ता संगठनों और आम जनता ने यह सवाल उठाया कि जब महंगाई अपने चरम पर है और लोगों की आर्थिक स्थिति पहले ही डांवाडोल है, ऐसे में बिजली की दरें बढ़ाना जनता के साथ अन्याय है।
यूपीसीएल की दलीलें
UPCL का कहना है कि ईंधन की लागत, ट्रांसमिशन और मेंटेनेंस खर्च, कर्मचारियों के वेतन और भविष्य की योजनाओं में निवेश जैसे कारकों के कारण उन्हें बिजली की दरें बढ़ानी जरूरी हो गई हैं। उनका दावा है कि प्रस्तावित बढ़ोतरी केवल खर्चों की भरपाई के लिए है, न कि लाभ कमाने के लिए।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
बिजली दरों की इस संभावित बढ़ोतरी पर राजनीतिक दलों ने भी प्रतिक्रिया दी है। विपक्षी दलों ने सरकार पर बिजली कंपनियों के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया है और जनहित की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। सोशल मीडिया पर भी जनता के बीच नाराजगी देखी जा रही है।
आगे क्या?
जनसुनवाई के बाद आयोग अपनी विस्तृत समीक्षा करेगा और अगले कुछ सप्ताह में इस पर अंतिम आदेश जारी करेगा। यदि प्रस्ताव पारित होता है, तो उपभोक्ताओं को अक्टूबर से ज्यादा दरों पर बिजली बिल चुकाना पड़ सकता है।